MP : एक शिक्षक ऐसी भी ! कैंसर से लड़ते हुए भी नहीं छोड़ा काम, मात देकर बनी मिसाल और कही ये बात 

MP News: मध्य प्रदेश के धार जिले की एक शिक्षक है, जिसने अपने हौसलों को मजबूत रख कैंसर को मात दिया. इस बीमारी से जूझते हुए भी उन्होंने अपना काम नहीं छोड़ा. आइए जानते हैं इनके बारे में... 

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Techers Day Special:  कैंसर का नाम सुनते ही मरीज जीने की उम्मीद छोड़ने लगता है, लेकिन डटकर मुकाबला किया जाए तो इसे हराया जा सकता है. कई बड़े सेलिब्रिटी भी कैंसर का शिकार हुए हैं. कई इस गंभीर बीमारी से हार गए और कई अपने-अपने हौसलों के दम पर जानलेवा बीमारी से जीत गए.  हौसलों को ऊंचा रख कैंसर को मात देने वाली ऐसी ही एक टीचर मध्य प्रदेश के धार जिले की है. डही विकासखंड की 48 साल की टीचर अनिता सोलंकी का नाम भी कैंसर को मात देने वालों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है.

11 साल पहले पता चला था

अनिता कैंसर को मात देकर शिक्षण कार्य में जुटी हैं. उन्हें पहली बार कैंसर का पता सन 2013 में चला था. बीमारी से लड़ने के लिए उन्होंने खुद को तो संभाल लिया, लेकिन परिवार . बीमारी से लड़ते हुके सभी लोग परेशान हो गए थे. अनिता ने कैंसर से लड़ते हुए परिवार को भी संभाला. आज वो कैंसर के मरीजों के लिए बीमारी से लड़ाई की प्रेरणा बन गई हैं.

अनिता सोलंकी बताती है कि मेरा सेंस ऑफ ह्यूमर ही मुझे बीमारी से लड़ने की ताकत देता है. बच्चों के साथ बच्चा बन पाठन-पठन किया. मुझे बीमारी के नाम से कभी घबराहट नहीं हुई. मुसीबतें हर कदम पर इम्तिहान लेती रहीं हौसला हर बार बढ़ता गया.

अपने बारे में अनिता सोलंकी ने बताया कि मैं धार ज़िले के डही विकास खंड के शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय सिलकुआं में माध्यमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं. मेरी नियुक्ति 1998 में हुई थी.  माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत रह कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित होने के बाद भी मैंने उपचाररत रहते हुए शाला के विकास के लिए जनसहयोग से राशि एकत्रित की. 

स्मार्ट क्लास के जरिए जॉयफूल लर्निंग डिजिलेप दक्षता उन्नयन हमारा घर हमारा विद्यालय जैसे शासकीय कार्यों में उपलब्धियां पाई. आयुष्मान कार्ड बनवाने में सहयोग किया.

अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो के बालक बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ने घर घर जाकर समझाइश दी. समाज में नशा मुक्ति के साथ-साथ बाल विवाह समाज में व्याप्त अंधविश्वास महिलाओं को डायन घोषित करने जैसी कुरीतियों को दूर करने जैसे सामाजिक कार्यों में अपने आपको व्यस्त रखा हमारी शाला का रिजल्ट लगातार कई वर्षों से शत प्रतिशत रहा है.

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 अनिता ने बताया कि ,मैं अब पूरी तरह स्वस्थ हूं. परिवार साथियों के प्यार और आशीर्वाद डॉक्टर्स की मेहनत और प्रभु की शक्ति से मिले आत्मविश्वास ने कैंसर को धराशाई कर दिया है. इस दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से मिले कई दोस्तों ने मुझे मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा.

अनिता सोलंकी ने कैंसर पीड़ितों को बेहतरीन संदेश देते हुए कहा अपने हौंसले व हिम्मत को बनाए रखें।
ज़िंदगी की दुश्वारियों के बीच जब कभी हिम्मत कमजोर पड़े तो मेरी ये कहानी पढ़ लीजिए. नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार होगा.

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