MP News In Hindi: मध्य प्रदेश के धार जिले के धरमपुरी में गत 13 जुलाई की रात्रि में बावड़ी चौराहे और प्राचीन बावड़ी के पास बेंट संस्थान की खाली जमीन पर स्थानीय मुस्लिम समाज के कुछ बच्चों को खेलने के दौरान मूर्ति दिखाई दी थी, जिसकी सूचना हिंदू समाज के लोगों को दी गई थी,जिसके बाद मूर्ति को लेकर हिंदू समाज का दावा था कि ये मूर्ति शिव पार्वती जी की है. वहीं, हिंदू समाजजनों ने मूर्ति की स्थापना कर पूजा अर्चना भी शुरू कर दी थी, जिसके बाद सोमवार को पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची. मूर्ति की नाप-तौल आदि जांच की.
महेश्वरी की भग्न (खंडित) मूर्ति है
इस बीच टीम ने पास में बनी बावड़ी का अवलोकन भी किया. जिला पुरातत्व संग्रहालय धार के संग्रहाध्यक्ष डॉ. डीपी पांडे मौके पर पहुंचे और मूर्ति का नाप-तौलकर बावड़ी का निरीक्षण किया, जिसके बाद उन्होंने बताया कि मूर्ति 13 वीं शताब्दी की निर्मित उमा-महेश्वरी की भग्न (खंडित) मूर्ति है. शास्त्र के अनुसार हिंदू धर्म में खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है, इसलिए इस मूर्ति की स्थापना किसी भी मंदिर में नहीं की जा सकती है.
इस मामले में पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने सकल हिंदू समाज की सर्वे की मांग को खारिज कर दिया. डॉ.डीपी पांडे ने बताया कि सर्वे का कोई ठोस आधार नहीं है, धरातल पर ऐसा कोई मंदिर या अवशेष नहीं मिला है, जिसके आधार पर यहां का सर्वे किया जाए.
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जो मूर्ति मिली है वह 13 वीं शताब्दी की है.
साथ ही बावड़ी को मराठा कालीन बताया. उस काल में पेयजल की आपूर्ति के लिए इस तरह की बावड़ियां बनाई जाती थी, जो मूर्ति मिली है वह 13 वीं शताब्दी की है. इससे यह तो स्पष्ट है कि मूर्ति व बावड़ी अलग-अलग काल की है. इधर सकल हिंदू समाज के आशीष पगारे ने बताया कि हमारी मांग है कि जिस स्थान पर प्रतिमा मिली है. उसकी खुदाई कर सर्वे किया जाए. प्रशासन हमारी मांग नहीं मानेगा तो हम आगे और उग्र आंदोलन करेंगे.
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