Dhar Bhojshala : 17 फरवरी को होगी सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई, जानें क्या है पूरा विवाद ?

Dhar Bhojshala News : मध्य प्रदेश के धार में स्थित मध्यकालीन स्मारक भोजशाला में बसंत पंचमी के अवसर पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की गई. इस स्मारक पर हिंदू और मुसलमान दोनों ही अपना दावा करते हैं.

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Dhar Bhojshala : 17 फरवरी को होगी सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई, जानें क्या है पूरा विवाद ?

Dhar Bhojshala News : मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला विवाद से जुड़ी अहम खबर सामने आई है. बता दें कि भोजशाला कमाल मौला मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. याचिका कर्ता आशीष गोयल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर स्थग्न लगा दिया है और अब 17 फरवरी को स्टे को लेकर सुनवाई होगी. गौरतलब है कि धार भोजशाला में ASI द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट इंदौर हाई कोर्ट में जमा की गई थी. ये सर्वे 98 दिनों तक चला था और इसकी रिपोर्ट 2000 पेज की है. साथ ही मामले में मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने ASI को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर पर अपनी विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए दस दिन का अतिरिक्त समय भी दिया था.

बसंत पंचमी पर हिंदू पक्ष ने भोजशाला में की पूजा

मध्य प्रदेश के धार में स्थित मध्यकालीन स्मारक भोजशाला में बसंत पंचमी के अवसर पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की गई. इस स्मारक पर हिंदू और मुसलमान दोनों ही अपना दावा करते हैं. कुछ हिंदू संगठन भोजशाला में सोमवार से चार दिवसीय बसंत उत्सव मना रहे हैं. इस मौके पर इसके परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई. भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है. ये परिसर ASI द्वारा संरक्षित है.

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क्या है विवाद ?

भोजशाला मामले में ताजा विवाद की शुरुआत 1995 में हुई जब हिंदुओं ने यहां पूजा की अनुमति मांगी. जिसके बाद प्रशासन ने हिंदुओं का पूजा करने की इजाजत दी साथ ही मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज पढ़ने की भी अनुमति मिली, हालांकि 1997 में विवाद एक बार फिर से बढ़ गया. जिसके बाद 12 मई 1997 को यहां आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया. हिंदुओं को केवल वसंत पंचमी पर पूजा की अनुमति मिली और मुसलमानों को शुक्रवार को एक से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति. इसके बाद साल 2003 में फिर से नियमित पूजा की अनुमति मिली और पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोल दिया गया.

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हिंदू पक्ष ने किया मूर्ति मिलने का दावा

हिंदू याचिकाकर्ता आशीष गोयल की मानें तो, भोजशाला के दक्षिण दिशा में एक बंद कमरा जो पुरातत्व विभाग के अधीन था, उसे सभी पक्षकारों की मौजूदगी में खोला गया था. तब इस इस कमरे की साफ-सफाई के बाद खुदाई का काम किया गया, जिसमें 50 से अधिक छोटे-बड़े अवशेष मिले. आशीष गोयल के मुताबिक, कमरे से सबसे पहले भगवान गणेश की मूर्ति निकली, इसके बाद मां पार्वती, महिषासुर मर्दिनी, हनुमान जी, भैरवनाथ ऐसी कई मूर्तियां और अवशेष मिले. इसके अलावा शंकर, चक्र, गदा, पद्म, कमल, शिखर आदि के भी मिले.

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मुस्लिम पक्ष ने जताई आपत्ति

वहीं,  मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद ने परिसर से निकली देवी-देवताओं की मूर्ति को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करते हुए मीडिया को बताया था कि परिसर के उत्तर की ओर एक कमरा था, जहां हम नमाज का सामान रखते थे. उसे 1997 में तत्कालीन कलेक्टर ने खाली कराकर इसका पंचनामा बनाया था. उन्होंने कहा, "आज उस बंद कमरे से, जहां कोई सामान नहीं था और खाली था, उसमें से मूर्तियां व अवशेष कैसे निकले? ये सबसे बड़ा सवाल है और इसपर हमारा ऑब्जेक्शन भी है. सन् 2003 के बाद जो चीज अंदर लाकर रखी गई है, उन्हें सर्वे में शामिल न किया जाए क्योंकि वह मूर्ति बाद में लाकर यहां रखी गई है. यह आपत्ति आज भी है और हम पूर्व में भी इसको लेकर अपनी आपत्ति ASI सर्वे टीम को दर्ज करा चुके हैं. "

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