Child Adoption: विदिशा के दो बच्चों को मिला नया आशियाना, एक दिल्ली तो दूसरा ब्रिटेन में जियेगा जिंदगी

विदिशा के यशोदा एडॉप्शन सेंटर से दो बच्चों को गोद लिया गया है. इनमें से एक बच्चा दिल्ली के परिवार और एक बच्चा भारतीय मूल के ब्रिटेन में रहने वाले परिवार ने गोद लिया है.

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सांकेतिक तस्वीर (क्रेडिट- मेटा एआई).

Child Adoption: आज यानी 22 अप्रैल का दिन विदिशा के लिए एक भावुक और गौरवपूर्ण क्षण लेकर आया. जिला कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने दो अभयर्पित बच्चों को कानूनी रूप से गोद देने के आदेश जारी किए गए, जिससे इन बच्चों को जीवन का सबसे बड़ा तोहफा मिला. इनमें से एक बच्चे को दिल्ली निवासी दंपती ने गोद लिया है, जबकि दूसरा बच्चा अब ब्रिटेन (यूके) में बसे एक भारतीय मूल के दंपती की गोद में अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करेगा.

कहां से थे ये बच्चे?

दोनों बच्चे विदिशा के यशोदा एडॉप्शन सेंटर (शिशु गृह) में रह रहे थे. यह संस्था विदिशा सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा संचालित है और 6 वर्ष तक की आयु के उन बच्चों के लिए आश्रय स्थल है, जो अनाथ हैं, त्यागे गए हैं या गुमशुदा श्रेणी में आते हैं.

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यहां बच्चों को न सिर्फ देखरेख और प्यार दिया जाता है, बल्कि उन्हें एक स्थायी, सुरक्षित और प्रेमपूर्ण परिवार में भेजने की पूरी व्यवस्था की जाती है.

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कानूनी प्रक्रिया और पारदर्शिता

दोनों बच्चों को CARA (Central Adoption Resource Authority) पोर्टल पर पंजीकृत किया गया था. यह पोर्टल भारत सरकार द्वारा संचालित एक सेंट्रल सिस्टम है, जो देश और विदेश में गोद लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी, व्यवस्थित और बच्चों के हित में सुनिश्चित करता है.

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इस प्रक्रिया के अंतर्गत किशोर न्याय अधिनियम (बालकों की देखरेख और संरक्षण) 2015 दत्तकग्रहण विनियम, 2022 का पालन किया गया. प्रक्रिया की निगरानी में महिला एवं बाल विकास विभाग भी शामिल रहा. जिला स्तर पर यह कार्य जिला कार्यक्रम अधिकारी भरत सिंह राजपूत की देखरेख में संपन्न हुआ.

इस दौरान जिला कलेक्टर अंशुल गुप्ता ने कहा, "यह केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, यह समाज में मानवीय करुणा और प्रेम का प्रतीक है। दो बच्चों को मिला परिवार, उनका भविष्य अब संवरने जा रहा है. मैं दोनों दंपतियों को उनके नए दायित्वों हेतु शुभकामनाएं देता हूं और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ."

बच्चों के लिए संजीवनी बनी यह पहल

जिला कार्यक्रम अधिकारी भरत सिंह राजपूत ने बताया, “यह प्रक्रिया पूरी संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ की जाती है. विभाग सुनिश्चित करता है कि हर बच्चा उस वातावरण में जाए जहां, उसे सुरक्षा, स्नेह और सम्मान मिले.”

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