मानवता को शर्मसार करने वाला वीडियो: युवक से ब्राह्मण के पैर धुलवाकर पानी पिलाने का दबाव, क्‍यों म‍िली यह सजा?

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के सतरिया गांव में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कुशवाहा समाज के युवक को कथित तौर पर सजा के तौर पर ब्राह्मण युवक के पैर धोकर वह पानी पीने के लिए मजबूर किया गया. वीडियो वायरल होने के बाद मामला चर्चा में है, लेकिन दोनों पक्ष इसे “आपसी मामला” बताकर शांत कराने में जुटे हैं. पुलिस प्रशासन अभी शिकायत का इंतजार कर रहा है.

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मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पटेरा ब्लॉक के सतरिया गांव का एक मामला मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला है. यहां कुशवाहा समाज के एक युवक को सजा के तौर पर अर्थदंड के साथ ब्राह्मण समाज के युवक के पैर धोकर पानी पीने को कहा गया. वीडियो वायरल होने के बाद दोनों पक्ष इसे आपसी मामला बता रहे हैं, हालांकि पुलिस और प्रशासन को अब तक शिकायत का इंतजार है.

जानकारी के अनुसार, पुरुषोत्तम कुशवाहा नाम के युवक से अन्नू पांडे के पैर धुलवाकर वह पानी पीने पर मजबूर किया गया और उससे यह कहलवाया गया कि वह समस्त ब्राह्मण समाज से माफी मांगे. उसने माफी भी मांगी और 5100 रुपए का अर्थदंड भी दिया. बताया जा रहा है कि पैर धोने का वीडियो मौजूद है, लेकिन पैर का पानी पीने का वीडियो नहीं है.

पूरा मामला गांव में लागू शराबबंदी से जुड़ा है. सतरिया गांव में ग्रामवासियों ने आपसी सहमति से शराबबंदी लागू की थी. इसी बीच अन्नू पांडे पर गांव में शराब बेचने का आरोप लगा, जिसकी शिकायत के बाद उसे पकड़ लिया गया. पंचायत ने उसे सजा के रूप में पूरे गांव में घूमकर माफी मांगने और 2100 रुपए का अर्थदंड देने को कहा. उसने यह सजा स्वीकार कर ली.

इस बीच पुरुषोत्तम कुशवाहा ने अन्नू का एक फोटो बनाकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया, जिसमें AI की मदद से अन्नू को जूते की माला पहने दिखाया गया था. गांव में जैसे ही बात फैली, पुरुषोत्तम ने विवाद बढ़ता देख 15 मिनट में वह पोस्ट डिलीट कर दी और माफी भी मांग ली. लेकिन मामला यहीं नहीं थमा. अन्नू पांडे ने पुरुषोत्तम और उसके परिवार को गालियां दीं.

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इसके बाद सतरिया और आसपास के ब्राह्मण समाज के लोग एकजुट हुए और इसे समस्त ब्राह्मण समाज का अपमान बताया, जबकि मामला दो व्यक्तियों के बीच का था. फिर पुरुषोत्तम को न सिर्फ माफी मांगने बल्कि “पैर धोकर पानी पीने” जैसी अपमानजनक सजा दी गई. यह दृश्य बुंदेलखंड के ग्रामीण समाज में सामाजिक भेदभाव और रूढ़ियों की जिंदा तस्वीर बन गया.

हैरानी की बात यह है कि इस दौरान कुशवाहा समाज के लोग भी मौजूद थे. पीड़ित परिवार डरा-सहमा है और शिकायत दर्ज नहीं करना चाहता. उनका कहना है कि उनके लिए ब्राह्मण जन्म से पूजनीय हैं. दमोह के इतिहास में यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली मानी जा रही है. हालांकि पुलिस प्रशासन अभी भी शिकायत का इंतजार कर रहा है, वहीं दोनों पक्ष इसे “आपसी सुलह” का मामला बताकर खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.

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