Cough syrup Death Case update: मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद अब केंद्र ने कफ सिरप निर्माता दवा कंपनियों पर शिंकजा कसने की तैयारी शुरू कर दी. इस बीच रेस्पिफ्रेश टीआर (रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स (गुजरात), कोल्ड्रिफ श्रीसन फार्मा (तमिलनाडु) और रीलाइफ शेप फार्मा (गुजरात) कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिया गया. तीनों सिरप संदिग्ध मिले, जिसके बाद ये एक्शन लिया गया है.
सरकार ने देश के सभी राज्यों से इन दवा कंपनियों की सूची मांगी है, ताकि निगरानी को और मजबूत किया जा सके. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सभी दवा कंपनियों की पहचान होने के बाद ऑडिट शुरू किए जाएगें. इसमें केंद्र और राज्य दोनों की टीम मिलकर ऑडिट करेगी जो अगले एक महीने में पूरा होगा.
दवा कंपनी की पूरी जिम्मेदारी
भारत में स्वास्थ्य की जिम्मेदारी राज्यों की होती है. हर राज्य में एक दवा नियंत्रण विभाग होता है, जो अपने इलाके में दवा फैक्ट्रियों और बाजार में बिक रही दवाओं की निगरानी करता है. किसी भी दवा के उत्पादन, जांच और बाजार में जाने के बाद उसमें कोई गड़बड़ी मिलने पर पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होती है, जिसने दवा बनाई है. राज्य का दवा विभाग खुद हर बैच की जांच नहीं करता.
कड़े नियम लागू करने की तैयारी में केंद्र
सूत्र ने कहा कि केंद्र अब कफ सिरप में हानिकारक कैमिकल डीईजी जैसी इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने जा रहा. अगले 10 दिन में इनका असर दिखने लगेगा. उन्होंने कहा कि राज्यों से दवा कंपनियों की सूची आने के बाद उनका ऑडिट किया जाएगा. यह काम एक महीने पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही, एक नया नियम बनाया जाएगा जिसमें ऐसी लापरवाही करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान होगा.
तीन कंपनियों के लाइसेंस कैंसिल
सीडीएससीओ ने यह जानकारी दी है कि तीन सिरप संदिग्ध मिले हैं, जिसमें रेस्पिफ्रेश टीआर (रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स, गुजरात), कोल्ड्रिफ (श्रीसन फार्मा, तमिलनाडु) और रीलाइफ (शेप फार्मा, गुजरात) की पहचान की है. इनमें भारी मात्रा में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की पाया गया है. हालांकि इसमें से कोई भी उत्पाद भारत से बाहर निर्यात नहीं किया गया लेकिन घरेलू बाजार में यह कई राज्यों में मिला है. इन दवाओं को बाजार से वापस लिया जा रहा है. अधिकारी ने दावा किया कि अगर कच्चे माल और तैयार उत्पाद की जांच समय पर होती तो ऐसी घटना से बचा जा सकता था.