Scam In MP: गाड़ी से 52 किलो सोना, 200 किलो चांदी और 11 करोड़ कैश पर दिग्विजय ने पीएम को लिखा पत्र, बोले-लूट मची है, खूब लूटो खाओ

Scam In Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग के एक आरक्षक की गाड़ी से 52 किलो, सोना, 200 किलो चांदी और 11 करोड़ कैश के मामले ने तूल पकड़ लिया है. दिग्विजय सिंह ने इस मामले को लेकर मंगलवार को प्रेसकॉफ्रेंस की और सीधे पीएम मोदी से इस मामले की शिकायत करने की बात कही.

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Corruption in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के परिवहन विभाग के एक आरक्षक के पास से 52 किलो सोना, 11 करोड़ रुपये नकद और 200 किलो चांदी जब्त होने के बाद कांग्रेस (Congress) नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) आग बबूला हो गए हैं. उन्होंने मंगलवार को इस मामले में प्रेसकॉफ्रेंस की, इस दौरान उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के इतिहास में इतना बड़ा भ्रष्टाचार (Big Corruption) का मामला शायद ही पहले कभी सामने आया हो.  जंगल में खड़ी कार से 52 किलो सोना, 11 करोड़ रुपये नकद और 200 किलो चांदी जब्त होने की घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है.

ये है पूरा मामला

दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयकर विभाग और लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व RTO हवलदार सौरभ शर्मा के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. इस कार्रवाई के दौरान भोपाल के मेंडोरा के जंगल में एक लावारिस इनोवा क्रिस्टा गाड़ी मिली थी, जो अब चर्चा में है. दरअसल, आयकर विभाग को इस कार से करीब 52 किलो सोना मिला, जिसकी कीमत लगभग 45 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इसके अलावा गाड़ी से 200 किलो चांदी और 11 करोड़ रुपये कैश भी बरामद हुए थे.  जांच में सामने आया कि यह गाड़ी चेतन सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड है, जो भ्रष्टाचार के आरोपी आरक्षक सौरभ शर्मा का करीबी सहयोगी बताया जा रहा है. लोकायुक्त की जांच में चेतन सिंह और सौरभ शर्मा के बीच साझेदारी की भी पुष्टि हुई है.

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परिवहन विभाग के भीतर चल रहा था घोटाले का खेल

दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस मामले में जो सबूत अब सामने आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं. बताया जा रहा है कि परिवहन विभाग के अंदर चेक पोस्ट की नीलामी हो रही थी. कटर वसूली करने का काम सौरभ शर्मा नाम के आरक्षक के जरिये किया जा रहा था. यह मामला अब जांच का विषय बन गया है.

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पुलिस पर लगाया मामले को दबाने का आरोप

दिग्विजय सिंह ने कहा कि पुलिस प्रशासन ने इस मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन लोकायुक्त और आयकर विभाग की एंट्री ने मामले को सामने लाने का काम किया. अगर आयकर विभाग बीच में न आता, तो शायद यह मामला उजागर ही नहीं हो पाता.

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सीधे सिंधिया को घसीटा

उन्होंने कहा कि इस मामले में कुछ नाम मेरे पास आए हैं. जब कमलनाथ की सरकार बनी, तो इतना दबाव था कि परिवहन विभाग और राजस्व विभाग गोविंद सिंह राजपूत को दिया जाए. ये सिंधिया बता रहे थे. इसी वजह से कमलनाथ को बोर्ड बनाना पड़, फिर सरकार बनी तो सिंधिया ने बोर्ड भंग करवा दी. फिर परिवहन मंत्री बने राजपूत और इसके साथ ही ठेका प्रथा शुरू हो गई. इस नाके की बोली इतनी, उस नाके की इतनी. फिर ये सौरभ शर्मा वसूली करता था, जो नाम मेरे सामने आए हैं उनमें सौरभ शर्मा के साथ संजय श्रीवास्तव ऑर्डर निकलवाते थे. इसमें वीरेश तुमराम और दशरथ पटेल भी शामिल हैं. इसके बाद उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि उद्योगपति मनोज परमार के यहां तो ईडी पहुंच गई थी, लेकिन यहां ईडी आई क्या ?

प्रधानमंत्री से की विशेष जांच की मांग

घोटाले के खुलासे के बाद दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री को इस मामले की जांच लोकायुक्त, आयकर विभाग और ईडी से कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस मामले की हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई में जांच की भी मांग उठ रही है.

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दिग्विजय ने कहा कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की यह घटना सिर्फ एक घोटाले की कहानी नहीं है, यह राज्य के सिस्टम की गहराई तक जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार का संकेत है. जांच के जरिए सच को सामने लाना और दोषियों को सजा देना अब सरकार की जिम्मेदारी है.

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