MP News: क्‍या है बहुचर्चित ‘छोटा गुड्डा एनकाउंटर’, ज‍िसमें सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के Shahdol का बहुचर्चित Chhota Gudda encounter मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया. कोर्ट ने MP High Court से मामले की दोबारा सुनवाई करने को कहा है. छोटे गुड्डा के परिजनों ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताया था. अब Supreme Court में सुनवाई के बाद justice मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के शहडोल का बहुचर्चित ‘छोटा गुड्डा एनकाउंटर' एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. अब इस एनकाउंटर में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की दोबारा सुनवाई के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को कहा है. 

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नवंबर 2006 में मध्य प्रदेश के शहडोल के भुइबाँध में  पुलिस ने छोटा गुड्डा का एनकाउंटर किया था. एनकाउंटर में तत्कालीन टीआई समेत 15 पुलिस वालों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. बाद में उन पुलिसकर्मियों को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी. छोटा गुड्डा के परिजनों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 

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राजकुमार यादव उर्फ छोटा गुड्डा एनकाउंटर केस

शहडोल के बहुचर्चित राजकुमार यादव उर्फ छोटा गुड्डा एनकाउंटर मामले में नया मोड़ आया है. पूरा मामला यह है कि एमपी के शहडोल कोतवाली पुलिस थाना इलाके में विभिन्न संगीन वारदातों को अंजाम देने के बाद राजकुमार यादव उर्फ छोटा गुड्डा जेल में सजा काट रहा था. राजकुमार यादव पेरोल में जेल से बाहर आया और फरार हो गया था. शहडोल पुलिस ने नवंबर 2006 में उसका एनकाउंटर कर दिया.

एनकाउंटर को फर्जी बताकर खटखटाया कोर्ट का दरवाजा

छोटा गुड्डा के परिजनों ने उसके एनकाउंटर को फर्जी बताया और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शहडोल कोतवाली थाना के तत्कालीन टीआई समेत 15 पुलिसकर्मियों पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. जिला न्यायालय ने एनकाउंटर में शामिल तत्कालीन टीआई समेत 15 पुलिस वालों को हत्या का आरोपी माना था.

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इसके बाद यह मामला शहडोल जिला न्यायालय से होते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट तक पहुंचा. एमपी हाईकोर्ट ने शासकीय अनुमति संबंधी दिशा-निर्देशों के आधार पर इस प्रकरण को निरस्त कर दिया था. हाईकोर्ट से प्रकरण निरस्त होने के बाद पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए दोबारा सुनवाई के लिए कहा है.

पीड़ित पक्ष के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश दीक्षित ने बताया कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आने के बाद पीड़ित पक्ष को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संभावना है.

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