Senior Citizens Tribunal Verdict: बुरहानपुर के एक मामले में सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति और सुरक्षा की रक्षा के लिए बनाए गए वरिष्ठ नागरिक ट्रिब्यूनल ने एक बेहद अहम और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. यह फैसला उन बुजुर्गों के लिए उम्मीद की किरण बना है, जो अपनी ही संपत्ति को लेकर ठगी या दुर्व्यवहार का शिकार हो जाते हैं. आइए पूरा मामला समझते हैं.
बुजुर्ग बहनों ने खरीदी थी दुकान
मामला बुरहानपुर शहर की दो सगी बुजुर्ग बहनों से जुड़ा है, जिन्होंने एक नामचीन व्यापारी से एक अचल संपत्ति (दुकान) खरीदी थी. इस खरीद के एवज में उन्होंने व्यापारी को पूरे 39 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया था. कुछ समय बाद बहनों को पता चला कि जिस दुकान के लिए उन्होंने 39 लाख रुपए दिए, वह व्यापारी उसे दस दिन पहले ही किसी और को बेच चुका है. ठगी का एहसास होते ही पीड़ित बहनों ने व्यापारी से अपना पैसा वापस मांगा, लेकिन व्यापारी ने रकम लौटाने में टालमटोल शुरू कर दी.
पुलिस में शिकायत, आरोपी जेल भी गया
प्रकरण गंभीर होने पर बहनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने व्यापारी के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया और उसे जेल भी भेजा गया. हालांकि बाद में आरोपी को जमानत मिल गई, लेकिन बहनों की परेशानियां खत्म नहीं हुईं.
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ट्रिब्यूनल ने दिया संपत्ति की सुरक्षा का आदेश
इसके बाद पीड़ित बुजुर्ग बहनों ने सरकार द्वारा गठित वरिष्ठ नागरिक ट्रिब्यूनल में अपनी संपत्ति सुरक्षा के लिए अर्जी दायर की. ट्रिब्यूनल ने बड़ा फैसला लेते हुए आदेश दिया कि जब तक व्यापारी बहनों को 39 लाख रुपए वापस नहीं करता, तब तक उस अचल संपत्ति की बिक्री, खरीद, या किसी भी तरह का बंधकनामा करना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा.
वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की बड़ी जीत
यह फैसला न सिर्फ उन बहनों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि सभी वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है. यह स्पष्ट संदेश है कि वरिष्ठ नागरिकों की संपत्ति से खिलवाड़ करने वालों पर अब कानूनी शिकंजा और सख्त होगा.
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