Flying Durga Yewale: गांव की मिट्टी से वर्ल्ड कप तक... अंधेरे में भी तलाशी रोशनी, बैतूल की दुर्गा की अद्भुत रहीं उड़ान

Durga Yewale Life Story: दृष्टिहीन दुर्गा अब भारतीय महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम के साथ 2025 के टी-20 वर्ल्ड कप में देश का परचम लहरा दिया है. हालांकि यहां तक पहुंचने के लिए दुर्गा एवले ने काफी संघर्ष किया.

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Blind Women T20 World Cup Champion Durga Yewale Success Story: भारतीय महिला दृष्टिबाधित टीम श्रीलंका में आयोजित महिला विश्वकप में श्रीलंका को हराकर विश्व चैंपियन (Blind Women T20 World Cup Champion) बनीं है. एक बार फिर मध्य प्रदेश की बेटियों ने देश और प्रदेश का नाम रोशन किया. भारतीय महिला दृष्टिबाधित टीम में बैतूल की दुर्गा एवले (Durga Yewale) भी शामिल हैं. ये  विकेटकीपर बल्लेबाज हैं... 

संघर्षों भरा रहा दुर्गा एवले का जीवन

दुर्गा येवले मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की भैंसदेही तहसील के छोटे से गांव राक्सी के गौलीढाना की रहने वाली है, लेकिन 5 वर्ष से अधिक समय से वो इंदौर में रह रहीं हैं. दुर्गा एवले का जीवन काफी संघर्षों भरा रहा है. वो एक गरीब परिवार से आती हैं. हालांकि दुर्गा येवले ने ये साबित कर दिया कि जज्बा और मेहनत हो तो कोई कमी.. मंजिल रोक नहीं सकती. दुर्गा अपनी प्रारंभिक ट्रेनिंग शहर के महेष दृष्टिहीन कल्याण संघ से की.

दृष्टिहीन दुर्गा अब भारतीय महिला ब्लाइंड क्रिकेट टीम के साथ 2025 के टी-20 वर्ल्ड कप में देश का परचम लहरा दिया है.

दुर्गा एवले महेष दृष्टिहीन कल्याण संस्था से पढ़ाई की

महेष दृष्टिहीन कल्याण संस्था की विकास अधिकारी डॉ डॉली बताती हैं कि भारतीय महिला दृष्टिबाधित टीम विश्व चैंपियन बनी... इस टीम में मध्य प्रदेश की बेटियां भी शामिल हैं. यह गर्व कि बात हैं... इस टीम की दुर्गा एवले ने कक्षा 9वीं से कॉलेज तक की पढ़ाई महेष दृष्टिहीन कल्याण संस्था से की. उन्होंने विश्व चैंपियन बनकर संस्था का नाम रोशन किया है.

टूर्नामेंट के लिए इंदौर-भोपाल और जबलपुर जाती थी दुर्गा

उन्होंने आगे बताया कि इस संस्था में रहने वाली बालिका कैंप और टूर्नामेंट के लिए इंदौर के अलावा भोपाल और जबलपुर जाती हैं. कई बच्चियों ने टूर्नामेंट में जीत भी हासिल की है. दुर्गा का सफर भी ऐसे ही शुरू हुआ. वो सुबह 5 बजे उठ कर अन्य लड़कियों के साथ रनिंग पर जाती थी और एक्सरसाइज करती थी.

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डॉ डॉली बताती हैं कि संस्था के डोनर्स ने दुर्गा को क्रिकेट कीट दिए थे, जिससे वो प्रैक्टिस करती थी. उन्होंने कहा कि इस संस्था में 200 से अधिक लड़किया रहती हैं. हमलोगों की कोशिश यही रहती हैं कि उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाए. पढ़ाई के अलावा क्रिकेट, नृत्य, संगीत जैसे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाए.

डॉ डॉली आगे बताती हैं कि सोनू गोलकर कई कैम्प लगवाते हैं, जिसमें अलग-अलग जगहों से लड़कियों का चयन कर वो ले जाते हैं . 7 से 10 दिनों तक कैम्प लगाया जाता है. ये कैम्प कभी इंदौर तो कभी भोपाल में आयोजित किया जाता है. इसमें जीत हासिल करने वाले बच्चों को आगे ट्रेनिंग दी जाती थी.

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NDTV ने संस्था के लड़कियों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि काफी लम्बे समय से क्रिकेट प्रैक्टिस कर रहे हैं. बैटिंग, बॉलिंग सभी में दिलचस्पी रखते हैं. दुर्गा की भागीदारी पर उन्होंने कहा कि दुर्गा दीदी काफ़ी अच्छी क्रिकेटर हैं. हमें गर्व हैं और हम दुर्गा दीदी की तरह बनना चाहते हैं. 

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