Bhopal Transport Bus Service: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में परिवहन व्यवस्था ठप पड़ चुकी है. बसों की संख्या कम होने के कारण अब यात्री परेशान हो रहे हैं. एक समय पर जहां हर पांच मिनट में स्टॉप पर बसें आया करती थीं, अब कई घंटों के इंतजार के बाद पहुंचती हैं. एक समस्या ये भी है कि बस खराब पड़ हो जाए, इसका भी नहीं पता. बीसीएलएल की लाल बसें कभी लोगों को मंज़िल तक पहुंचाती थीं, अब खुद की मंज़िल ढूंढ रही हैं.
16 में से 14 रूट बंद हैं. चालू रूट ऐसे हैं जैसे शादी के कार्ड पर ‘बारात प्रस्थान समय शाम 5 बजे', लेकिन बारात निकले रात 10 बजे.
इन रास्तों पर बस सेवा बंद (Bhopal Bus Route)
- बस नंबर-306 (श्री नरहरिदास बस स्टैंड से एम्स)
- बस नंबर-304 (नीलबड़ से नादरा बस स्टैंड)
- बस नंबर-307 (ओरिएंटल कालेज से गणेश मंदिर)
- बस नंबर-309 (करोंद से बरखेड़ा पठानी)
- बस नंबर एसआर-8 (बैरागढ़ चीचली से कोच फैक्ट्री)
- बस नंबर टीआर-1 (आकृति इको सिटी से चिरायु)
- बस नंबर-208 (कोकता से लेकर लालघाटी)
- बस नंबर-115 (अयोध्या नगर से लेकर गांधी नगर)
- एसआर-1ए (बैरागढ़ चीचली से चिरायु नाका आदि रूट)
शहर की आबादी बढ़ी, लेकिन बसें घटीं
आईएसबीटी (ISBT Bhopal) में बहुत सी खराब बसें खड़ी हैं. इनका टायर खराब या इंजन. इसके अलावा इनकी हालत कबाड़ जैसी ऐसी हो गई है. बोर्ड ऑफिस चौराहा कभी शहर के ट्रैफिक का दिल था. अब प्रतीक्षा का शिविर बन गया है. लोग वहां खड़े रहते हैं, लेकिन बस आती नहीं है. यही हाल रेलवे स्टेशन, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन, हमीदिया, जेपी अस्पताल, एम्स और नादरा बस स्टैंड और कई कॉलेजों के पास वाले बस स्टैंड की है.
वहीं, यात्रियों का कहना है कि यह संकट सिर्फ भोपाल का नहीं है. मध्य प्रदेश के चार प्रमुख शहरों में भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पब्लिक का साथ छोड़ चुका है.
एमपी के बड़े शहरें बसों और यात्रियों का आंकड़ा
- भोपाल की 25 लाख की आबादी पर 100 बसें, यानी 25 हजार यात्रियों पर महज एक बस
- ग्वालियर में 8571 लोगों पर एक बस
- जबलपुर में 21 हजार पर एक बस
- इंदौर में एक सिटी लिंक बस पर 51,000 की आबादी का बोझ है
- डबल डेकर और इलेक्ट्रिक बस को मिला लिया जाए तो कुल 600 बसें दौड़ रही है.
- 214 बस महीनों से बंद हैं.
सिर्फ 40 बसें चल रहीं
शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट को पटरी पर लाने के लिए साल 2013 में सरकार ने 25 रूट पर भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (BCLL) की 368 लो-फ्लोर बसें शुरू की थीं. इन बसों का संचालन बीसीएलएल प्राइवेट ऑपरेटरों के जरिए करवाता है. बसों से सवा लाख यात्री रोज सफर करते थे, लेकिन धीरे-धीरे बसों की संख्या कम होती गई. वर्तमान में 4 रूट पर सिर्फ 40 बसें चल रही हैं. अगस्त के बाद यह आधी से भी कम रह जाएंगी, क्योंकि ऑपरेटरों के अनुबंध खत्म हो रहे हैं तो कुछ की हालत बेहद खस्ता हो चुकी है. बस चालकों का कहना है कि ऑपरेटरों की ज़िम्मेदारी हैं, वे इसका ख्याल नहीं रख रहे हैं.
बस ड्राइवर राकेश खुरावर का कहना है कि गाड़ियां कम होने के कारण परेशानी हो रही है. परेशानी बहुत हैं. कई ऑपरेटरों ने गाड़ियां खड़ी कर दी हैं, जिस कारण संख्या कम हो गई है.
बसों की स्थिति बदहाल होने के पीछे एक बड़ा कारण कंपनी के नाखुश कर्मचारी हैं. बीसीएलएल के लगभग 200 ऐसे कर्मचारी हैं, जिनकी महीनों से सैलरी और पीएफ नहीं आया.
कहने पर भी नहीं सुधरी व्यवस्था
ग्लोबल इन्वेस्ट समिट के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मुद्दा प्रभारी मंत्री के सामने उठा तो उन्होंने ईवी पॉलिसी पर जोर दिया और इलेक्ट्रिक बस चलाने की बात कही. इंदौर में तो ये बस चल रही थी, लेकिन भोपाल में ये प्रस्ताव कागजों में दौड़ रहा था. लिहाजा बसे इंदौर से भोपाल लाया गया. मामला आम जनता से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था तो पिछली विधानसभा में भी बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने सदन के अंदर उठाया, जिसके बाद मंत्री ने व्यवस्था दुरुस्त करने की बात कही, लेकिन अब अगले विधानसभा सत्र की बारी आ चुकी है और व्यवस्था जस की तस है.
ये भी पढ़ें- ट्रेन पर चढ़ते समय गिरी युवती, प्लेटफॉर्म और ट्रेन के बीच घिसटने से हुई दर्दनाक मौत
प्रभारी मंत्री चैतन्य कश्यप ने बताया कि सरकार ने बजट में परिवहन सेवा को बेहतर करने के लिए बजट में प्रावधान किया है, जल्दी परिवहन व्यवस्था को बेहतर के लिया जाएगा.
निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा- हां बसें काफी बंद हो गई है, बीसीएलएल से बात करूंगा और जानकारी लूंगा. उनसे स्थिति सुधारने के लिए कहूंगा.
बीसीएलएल के सीईओ मनोज राठौर ने कहा कि बसों की स्थिति खराब है जहां एक समय पर 366 बसें चलती थी. वहां अब केवल 60 बसें हैं. आने वाले समय में ये भी बंद हो सकती हैं. अब अक्टूबर में नई बसें आने का इंतजार है.