अनोखी भक्ति: दमोह के भगवानदास गहरे पानी पर लेटकर करते हैं साधना, राम मंदिर निर्माण का लिया था संकल्प

Ram Bhakt: भगवानदास का पुलिस विभाग में चयन 1992 में हुआ था. वे राम मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर 10 वर्ष की उम्र से पानी में साधना कर रहे हैं. बांदकपुर की प्राचीन बावड़ी में वे जैसे ही गहरे पानी में छलांग लगाते हैं, उनका शरीर अपने आप पानी के ऊपर आ जाता है.

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भगवान दास घंटों तक बिना तैरे पानी में साधना करते हैं.

Unique Devotion: अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) की तैयारियां पूरी हो चुकी है. 22 जनवरी को राम मंदिर (Ram Mandir) उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) के साथ ही राम भक्तों का वर्षों का इंतजार खत्म हो जाएगा. इसके साथ ही देश भर में भगवान राम के भक्त अलग-अलग तरीकों से अपनी भक्ति जाहिर कर रहे हैं. एक ऐसे ही राम भक्त हैं, मध्य प्रदेश के दमोह जिले (Damoh) के रहने वाले पुलिसकर्मी भगवानदास दहिया. भगवानदास कई वर्षों से भगवान राम की अनोखी साधना कर रहे हैं.

वे पानी में तैरकर हनुमान चालीसा पाठ करते हैं. जो अपने आप में तो अनूठा है ही, साथ ही देखने वालों में भी रोमांच भर देता है. वर्तमान में भगवानदास दहिया जागेश्वर नाथ धाम स्थित बांदकपुर पुलिस चौकी में पदस्थ हैं. लोग इन्हें बाबा भगवान दास के नाम से जानते हैं. वे बिना हाथ-पैर चलाए गहरे पानी में घंटों योग साधना करते हुए हनुमान चालीसा पढ़ते हैं. इस दौरान वे पानी में नहीं डूबते. उनकी यह साधना वर्षों से चली आ रही है.

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भगवान दास कहते हैं कि राम नाम का जप करते हुए कुएं, बावड़ी, तालाब या नदी में छलांग लगाते ही पूरा शरीर पानी के ऊपर आ जाता है.

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10 साल की उम्र से कर रहे हैं साधना

भगवानदास का पुलिस विभाग में चयन 1992 में हुआ था. वे राम मंदिर निर्माण के संकल्प को लेकर 10 वर्ष की उम्र से पानी में साधना कर रहे हैं. बांदकपुर की प्राचीन बावड़ी में वे जैसे ही गहरे पानी में छलांग लगाते हैं, उनका शरीर अपने आप पानी के ऊपर आ जाता है. इसे चमत्कार कहा जाए या कोई योग साधना? भगवान दास की मानें तो उनका कहना है कि राम नाम में इतनी शक्ति है कि पत्थर भी तैरने लगते हैं. राम नाम का जप करते हुए कुएं, बावड़ी, तालाब या नदी में छलांग लगाते ही पूरा शरीर पानी के ऊपर आ जाता है.

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केंद्र और राज्य सरकार से मिल चुका सम्मान

खास बात यह है कि भगवान दास का वजन 80 किलो है. फिर भी वे यह करिश्मा अपनी साधना से करते हैं और पानी के ऊपर आसन लगाकर हनुमान चालीसा घंटों तक पढ़ते रहते हैं. वे वर्षों से हर मंगलवार को जल साधना करते चले आ रहे हैं. जिसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय योग पुरस्कार और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार दिया गया है. भगवानदास का कहना है कि 21 वर्षों की साधना के बाद राम मंदिर का संकल्प साकार हुआ है. उनकी यह साधना काशी और मथुरा धाम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर आगे भी जारी रहेगी.

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