गांव हो तो ऐसा ! MP के नरसिंहपुरम के 'बधुवार' की दीवारों से मिलती है शिक्षा, स्वच्छ इतना ही शहर भी शरमा जाए

Baghuwar village: ग्रामीणों ने मिलजुलकर बघुवार को मध्य प्रदेश का आदर्श गांव बनाया है. यहां चमचमाती सड़क, हर घर के सामने पेड़, ग्राम पंचायत, स्कूल और बहुत कुछ है.

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Baghuwar village Specialty : नरसिंहपुर जिले का बघुवार गांव किसी सपने के गांव से कम नहीं है. जहां सरकार के स्वच्छ भारत अभियान से पहले ही यहां की स्वच्छता पूरे देश में अलख जला रही है. पक्की सड़कें और अंडर ग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम ने गांव की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं. स्वराज की कल्पना को इस गांव की आत्मनिर्भरता पूरा करती हुई दिखाई देती है. वाटर रीचार्जिंग के लिए तीन तालाबों बनाए गए हैं, जिसमें आज भी पानी कम नहीं हुई है. गांव का भूजल स्तर महज अस्सी से सौ फिट बताया जा रहा है.

Baghuwar village: बघुवार को मध्य प्रदेश का आदर्श गांव बनाया. 

गांव की दीवारों से मिलता शिक्षा का ज्ञान

मंगल भवन हो या अंबेडकर भवन... सब इस गांव में सामूहिक कार्यक्रमों के लिए बखूबी तैयार किए गए हैं. गांव की दीवारें सामान्य ज्ञान से लेकर स्वास्थ संबंधी जानकारी परोसती हुई दिखाई देती हैं. ये सब मुमकिन हो सका यहां के एक शख्स की बदौलत, जो कभी इस गांव के सरपंच तो कभी उपसरपंच रहे.  उन्होंने पूरे गांव को एकता के सूत्र में जोड़े रखा.

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यही एकता की बानगी थी कि स्वतंत्रता के बाद से इस गांव में चुनाव न हुए थे, लेकिन अब उनके न रहने के बाद इस बार गांव में चुनाव हुए. हालांकि गांव के बुजुर्ग आज भी इस गांव की परम्परा और खूबसूरत कामों को सहेजने में जुटे हैं और नई पीढ़ियों को भी यही पाठ पढ़ा रहे हैं.

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Baghuwar village: बुधवार गांव को साल 2010 में राष्ट्रपति भी पुरस्कृत कर चुके हैं.

सफाई और जल संचयन पर विशेष ध्यान

बघुवार गांव मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर बसा है. इस गांव में सफाई और जल संचयन पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इस गांव में हर घर में शौचालय है. सफाईकर्मियों द्वारा प्रतिदिन गांव की सफाई की जाती है.यहां की सभी नालियां अंडरग्राउंड है. वहीं जलसंचय के लिए लिए नालियों को कुओं से जोड़ा गया है, जिसमें पानी इकट्ठा होता है.

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Baghuwar village: गांव में तीन समृद्ध तालाब हैं. 

हर दीवार देती है शिक्षा का संस्कार

बता दें कि इस गांव की दीवारें खास हैं. दरअसल, शिक्षा का संस्कार देती हैं और ज्ञान बढ़ाती हैं. इतना ही नहीं पढ़ने की ललक भी पैदा करती है. बघुवार गांव की दीवारों पर स्कूली किताबों के अंश हू-ब-हू लिखे हुए हैं. इतिहास, भूगोल, विज्ञान, सामान्य ज्ञान, गणित के सूत्र... मानो स्कूल का पूरा पाठ्यक्रम ही दीवारों पर उतर आया है.

Late Surendra Singh:  पूर्व सरपंच सुरेन्द्र ठाकुर की प्रतिमा.

बघुवार गांव की खासियत

दरअसल, ग्रामीणों ने मिलजुलकर बघुवार को देश-प्रदेश में आदर्श गांव बनाया. चमचमाते रोड, पौधरोपण, हर घर के सामने एक पेड़, स्कूल, ग्राम पंचायत, सोसायटीज सभी पेड़-पौधों से घिरे, गोबर गैस प्लांट, सड़क, कुआं, अंडर ग्राउंड ड्रेनेज, मानस भवन और संदेश देती उसकी दीवारें, स्वच्छता सहित सरकारी योजनाओं की जानकारी देती दीवारें, पूर्व सरपंच सुरेन्द्र ठाकुर की प्रतिमा, पुस्तकालय, स्वच्छता परिसरऔर भी न जाने बहुत कुछ. गांव के स्कूलों में कभी कोई अध्यापक लेट नहीं आता.

Baghuwar village: यहां प्राइमरी से लेकर हायर सेकेंडरी तक सरकारी स्कूल है. यहां का रिजल्ट भी 100 फीसदी होता है. 

रंग लाई सरपंच की बड़ी सोच

दिवंगत सुरेंद्र सिंह ने 1970 में 12वीं की परीक्षा पास की थी. वह भी अपने गांव से 25 किमी दूर नरसिंहपुर से. उन्हें शिक्षा का महत्व तभी पता चल गया था. 

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