Constable Saurabh Sharma News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का कथित धनकुबेर और परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा (Saurabh Sharma) के मामले में अब नया खुलासा हुआ है. सौरभ शर्मा की नियुक्ति को लेकर तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह (Bhupendra Singh) ने ये माना है कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति गलत हुई थी, उन्होंने सदन में यह भी कहा कि वह नियुक्ति नहीं होनी थी.
बिना मंत्री की सहमति के हो गई नियुक्ति
12 मार्च को सदन में भूपेंद्र सिंह ने चर्चा के दौरान सरकार के कामों को गिनाते हुए कहा कि अध्यक्ष जी कल मैं सदन में नहीं था, तो कांग्रेस के एक सदस्य ने मेरे ऊपर आरोप लगाया कि परिवहन में आरक्षक सौरभ शर्मा की नियुक्ति मैंने की थी. इसके बाद उन्होंने नोटशीट दिखाते हुए कहा यह वह नोटशीट है, जिसे मैंने पटल पर भी रखी है. मेरे पास मेरे कार्यालय में एक व्यक्ति का आवेदन आया था, उस आवेदन में उन्होंने जो भी लिखा होगा. मेरे ऑफिस से लिखकर गया कि संबंधित आवेदन प्राप्त हुआ है. संबंधित आवेदन में विभाग का क्या अभिमत है, वह अभिमत मुझे दें. इसमें मेरी और से नियुक्ति कैसे हो गई ? इसके आगे उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि अगर मंत्री के कार्यालय में अगर पत्र आता है, तो क्या मंत्री अभिमत नहीं मांगेगा ? लिहाजा, मैंने भी वही किया, लेकिन मेरे पास अभिमत भी नहीं आया. बिना अभिमत के उस आरक्षक की नियुक्ति हो गई.
पूर्व मंत्री ने ऐसे दी सफाई
भूपेंद्र सिंह ने आगे कहा कि आरक्षक की नियुक्ति में न तो मंत्री का अनुमोदन लगता है, न ही मैंने अनुशंसा की, न ही मैंने उसमें लिखा कि इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें, न ही मैंने यह लिखा कि इसमें आदेश करें, तो मैंने कहां गलत कर दिया, यह उसकी नोटशीट है. लेकिन, मेरे ऊपर आरोप लगाया गया है कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति मेरी अनुशंसा से हुई.
खुद को बताया बेदाग और नियुक्ति को गलत
नोटशीट दिखाते हुए उन्होंने कहा कि इस वक्त राजनीति का स्तर कितना गिर गया है. इसके बाद उन्होंने कहा कि जो मैं कह रहा था, यह इसका प्रमाण है. हालांकि, यह उन्होंने स्वीकार किया कि जिस वक्त यह नियुक्ति हुई उस वक्त अक्टूबर 2016 में मैं ही मंत्री था. लेकिन, आज कह रहा हूं कि वह नियुक्ति गलत हुई थी. वह नियुक्ति नहीं होनी चाहिए थी.
जांच में दोषियों को हो जाएगा खुलासा
सिंह ने आगे कहा कि जो जांच एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं, उसमें सच सामने आने के बाद जिसने भी यह नियुक्ति की होगी. सरकार उस पर कार्यवाही करेगी. उन्होंने कहा कि यह नियुक्ति नियम से हो ही नहीं सकती थी. इस बात को छुपाया गया कि नियुक्ति कैसे हुई? पर चीजों को कैसे भी मेरे ऊपर आरोप लगाना है, या मामले को डायवर्ट करना है, तो कह दो कि उन्होंने की थी. उन्होंने आगे कहा कि यह राजनीति का स्तर है, जिससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है.
कांग्रेस विधायक को दी ज्ञान बढ़ाने की सलाह
भूपेंद्र सिंह की इस सफाई के दौरान कांग्रेस विधायक बाला बच्चन और अभय मिश्रा ने बीच में कई बार टोका टाकी की. इस दौरान कांग्रेस विधायकों के सवाल करने पर भूपेंद्र सिंह ने कहा भइया आरक्षक की नियुक्ति मंत्री नहीं करता है. आरक्षक की नियुक्ति ट्रांसपोर्ट कमिश्नर करता है. जब यही नहीं पता है, तो काहे को खड़े हो जाते हो.उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर गलत आरोप लग जाए और में अपनी बात भी न कह पाऊं, ऊपर से आप टोका टाकी करते रहो, मेरा तो करियर का सवाल है.
खुद को बताया बेगुनाह
उन्होंने कहा कि नियम के मुताबिक किसी आरक्षक की नियुक्ति होती है, तो सात महीने तक उसकी पोस्टिंग नहीं होती है. इसलिए उसकी भी पोस्टिंग नहीं हुई, क्योंकि सात महीने तक उसका परिवीक्षा अवधि होती है, जिसे पूरा करना जरूरी होता है, लेकिन मेरे समय में न ही मैंने उसकी नियुक्ति की, न ही मैंने पोस्टिंग की, न ही उसकी फील्ड में पोस्टिंग हुई, तो मैं कहां दोषी हो गया, अध्यक्ष महोदय.
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भूपेंद्र सिंह ने सदन में दावा किया मध्यप्रदेश के इतिहास का पहला परिवहन मंत्री हूं. जगदीश देवडा जी भी रहे , यह आदेश है भूपेंद्र सिंह ने आदेश की कापी दिखाते हुए कहा जिसमें मध्य प्रदेश के चेक पोस्टों को बंद कर दिया, यह आदेश हमने किया. मध्य प्रदेश के चेक पोस्टों को बंद किया.
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