200, 300 और 500 में बेच दिए जाते हैं सैंकड़ों वर्ष पुराने वृक्ष, एमपी में निर्दयता से काटे जा रहे हरे-भरे फलदार पेड़

Merciless Cutting of Trees: पेड़ दलाल वनों में रहने वाले आदिवासियों को थोड़े से पैसों का लालच देकर आम, जामुन, साल, तेंदू, चार, खैर जैसों सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ों को निर्दयता से काटकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वन विभाग के जिम्मेदार चुप हैं, क्योंकि दलाल उनके मुंह बंद करना जानते हैं.

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Tree mafia mercilessly cutting lash green trees in mp

Lash green Trees Cut: मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले के आंचलिक गांवों में तेजी से फलदार पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. पेड़़ों की कटाई का यह काम दलाल राजस्व और वन विभाग की सांठ-गांठ से अंजाम दे रहे हैं. दलाल कौड़ियों के दाम में हरे व फलदार पेड़ों को खरीद कर उससे लाखों कमाते हैं, जिन्हें वन विभाग के कुछ लोगों को संरक्षण मिला हुआ है. 

पेड़ दलाल वनों में रहने वाले आदिवासियों को थोड़े से पैसों का लालच देकर आम, जामुन, साल, तेंदू, चार, खैर जैसों सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ों को निर्दयता से काटकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वन विभाग के जिम्मेदार चुप हैं, क्योंकि दलाल उनके मुंह बंद करना जानते हैं.

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दलाल 200, 300 और 500 रुपए में खरीद लेते हैं पुराने और फलदार वृक्ष

रिपोर्ट के मुताबिक दलाल 200, 300 और 500 में हरे-भरे पुराने और फलदार वृक्षों को आदिवासियों से खरीद लेते हैं और उनकी निर्ममता से कटाई कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन दलालों पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है.वन विभाग राजस्व का मामला बताकर टीपी बना देता है, जिससे दलालों को पेड़ों के शहर तक परिवहन की छूट मिल जाती है. 

सरकार के 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान को मुंह चिढ़ा रहे हैं वन माफिया

गौरतलब है भारत सरकार 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान चला रही है, लेकिन बेरोक-टोक हो रही हरे-भरे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने सरकारी मुहिम पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पीड़ित बताते हैं कि जिम्मेदार वन माफियाओं से मिलकर चुन-चुन के पेड़ कटवा रहे हैं. कोई और कटे हुए पेड़ की ठूंठ अपनी कहानी बयां कर रहे है.

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भोली-भाले आदिवासियो को बहला फुसला कर दलाल हजार 2 हजार में कीमती और पुराने पेड़ों को कटवा कर मोटी कमाई करते हैं. रिपोर्ट कहती है कि दलाल निरंकुश होकर पेड़ों को काटते हैं, क्योंकि दलालों को वन विभाग व राजस्व विभाग के कुछ लोगों का साथ और संरक्षण मिला हुआ है.

सघन वन क्षेत्र रहे पुष्पराजगढ़ विधानसभा में लगातार हो रही पेड़ों की कटाई

जिले के पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र बीते दशकों से हरियाली और सघन वन क्षेत्र रहा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस वन क्षेत्र को भी किसी की नजर लग गई है. यहां लगातार वनों की कटाई जोरों से जारी है. वन विभाग कहता है कि यह राजस्व की भूमि है. तो राजस्व विभाग कहता है ये वन विभाग का केस है, लेकिन पेड़ों को बचाने कोई आगे नही आता है.

सरकार द्वारा बांटे गए वन अधिकार पत्र की वजह से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई

उल्लेखनीय है पुष्पराजगढ़ विभानसभा क्षेत्र में स्थित ग्राम पंचायत बोदा और सराफा का बघाड़ सघन वन क्षेत्र पहले वन विभाग के अंतर्गत आता था. समय के साथ सरकार द्वारा बांटे गए वन अधिकार पत्र की वजह से अब इनमें से कुछ जमीन राजस्व की हो गई, इसी का फायदा उठा कर माफिया जंगलों व पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करवा रहे हैं.

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