Rarest of the Rare Case: रीवा में अनोखा बच्चा; पैदा होते ही शरीर की स्किन फटने लगी, जानिए कौन सी है बीमारी

Rewa News: डॉक्टर के अनुसार यह समस्या अनुवांशिक कारण से हो सकती है या इसकी कोई अन्य वजह भी हो सकती है. चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने नवजात की हालत को देखते  हुए, उसे रीवा के संजय गांधी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया.

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Rewa News: रीवा में जन्मा में अनोखा बच्चा

Rarest of the Rare Case: रीवा जिले के चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक अनोखे बच्चे का जन्म हुआ, जिसकी त्वचा बेहद नाजुक, लेकिन सूखी क्रैक वाली थी. ऐसे लक्षण लाखों-करोड़ों में किसी एक बच्चे में दिखते हैं. बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलीवरी से हुआ. नवजात के जन्म लेते ही जब डॉक्टरों की नजर उस पर पड़ी तो वह हैरत में पड़ गए. क्योंकि अस्पताल में जन्म लेने वाला नवजात कोई साधारण नवजात की तरह नहीं दिखाई पड़ रहा था. अस्पताल के लिए यह पहला और अनोखा मामला था. डॉक्टरो ने तत्काल ही बच्चों को बेहतर इलाज के लिए रीवा के संजय गांधी अस्पताल रेफर कर दिया. परिजनों के मुताबिक अस्पताल में बच्चे की नार्मल डिलेवरी हुई, लेकिन बच्चा आसमान्य था, उसकी हालत गंभीर थी. इसके बाद उसे रीवा के गांधी मेमोरियल अस्पताल के बच्चा वार्ड के ICU में रखा गया है, जहां पर उसका उपचार किया जा रहा है.

क्या है मामला?

रीवा जिले के त्योंथर तहसील क्षेत्र अंतर्गत ढकरा सोंनौरी गांव की निवासी शांति देवी पटेल की बहु प्रियंका पटेल को प्रसव पीड़ा हुई. जिसके बाद उसे चाकघाट स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. प्रियंका पटेल ने नॉर्मल डिलेवरी के दौरान एक अनोखे बच्चे को जन्म दिया. डिलेवरी के बाद मां स्वास्थ्य थी. लेकिन बच्चा आसमान्य था, उसका शरीर डॉक्टर को अजीब सा दिखाई दे रहा था. बच्चों के शरीर की त्वचा पूरी तरीके से खराब थी, डॉक्टर के अनुसार इसे कोलोडियन बीमारी कहा जाता है. जिसमें बच्चों की त्वचा बेहद नाजुक होती है, लेकिन पूरी तरीके से सूखी होती है. जिसके चलते पूरे शरीर में क्रैक ही क्रैक नजर आते हैं.

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हर्लेक्विन इचथ्योसिस एक अत्यंत दुर्लभ और गंभीर आनुवंशिक त्वचा रोग है. इसमें नवजात शिशु की त्वचा पर मोटे, कठोर, हीरे के आकार की परतें होती हैं जो गहरे दरारों से अलग होती हैं. यह बीमारी आजीवन चलती है और समय पर उचित चिकित्सा के बिना जानलेवा भी हो सकती है.

डॉक्टरों का क्या कहना है?

डॉक्टर के अनुसार यह समस्या अनुवांशिक कारण से हो सकती है या इसकी कोई अन्य वजह भी हो सकती है. चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों ने नवजात की हालत को देखते  हुए, उसे रीवा के संजय गांधी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया.

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रीवा गांधी मेमोरियल अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई JR1 पीड़ीआर्टिक डिपार्टमेंट के डॉक्टर कहते हैं. हमारे यहां अनुवांशिक बीमारी से ग्रसित एक नवजात चाकघाट अस्पताल से रेफर किया गया है. फिलहाल नवजात का इलाज अस्पताल की बच्चों की वरिष्ठ टीम कर रही है. डॉक्टरों के अनुसार इस तरीके के मामले कभी-कभी ही देखने में नजर आते हैं. बच्चों की हालत गंभीर है. लेकिन इस गंभीर बीमारी का इलाज संभव है.

अनुवांशिक बीमारी में माता-पिता दोनों ही कॅरियर होते है. जिसके चलते ये बीमारी गर्भ में पल रहे बच्चे को हो जाती है. इस गंभीर बीमारी के चलते बच्चे के स्किन फिशर हो जाती है और स्किन फट जाती है. चेहरा पूरा डिफेक्टिव हो जाता है और आंख की पुतलियां बाहर आ जाती है. इसे हर्लेक्विन इचथ्योसिस बीमारी कहते हैं.

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