Mother's Day 2025: मां बनना ईश्वर का वरदान, शिशु को पालने में नींद तक करनी पड़ती है कुर्बान

Mothers Day 2025: दुनिया में मां को भगवान का दर्जा दिया गया है. मां ही सबसे पहला गुरु होती है और मां बच्चे का रिश्ता हर रिश्ते से ऊपर होता है. नौ माह तक बच्चे को अपने गर्भ में रखकर मां बच्चे के लिए हर तरह का दर्द सहती है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Mothers Day 2025 Date: मां बनना ईश्वर की ओर से एक औरत को दिया हुआ सबसे बड़ा उपहार है. इस उपहार के साथ कई बदलाव भी शरीर में आते हैं. स्किन पर भी असर पड़ता है. मां बनते ही जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है, रूटीन, प्राथमिकताएं और सबसे ज्यादा आपका नींद से रिश्ता कच्चा सा हो जाता है. ऐसी स्थिति में आखिर करें तो करें क्या? दादी मां के नुस्खे तो कारगर हैं ही, लेकिन इसके साथ ही मॉडर्न पैथी में भी इससे डील किया जाता है.

पोस्टपार्टम डिप्रेशन में चिड़चिड़ापन, थकावट की स्थिति बनी रहती है. इसका एक कारण नींद की कुर्बानी होती है. रातें बच्चों को संभालते निकल जाती हैं, उन्हें उठाना, दूध पिलाना, डाइपर बदलना और कई बार बस मोबाइल पर स्क्रॉल करते हुए ये जानने की कोशिश करना कि कहीं कुछ गलत तो नहीं कर रही- में समय निकल जाता है.

Advertisement

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित लेख के मुताबिक, प्रसवकालीन अवसाद एक प्रचलित और संभावित रूप से गंभीर मनोदशा विकार है जो गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के बाद पहले वर्ष के दौरान लगभग 7 में से 1 महिला को प्रभावित करता है. प्रसवकालीन अवसाद हार्मोनल परिवर्तनों, आनुवंशिक प्रवृत्ति और पर्यावरणीय कारकों के मेल से उत्पन्न होता है.

Advertisement

वहीं आयुर्वेद प्रसव के बाद की अवधि, या सूतिका काल को नई मां के लिए एक महत्वपूर्ण चरण मानता है. आयुर्वेद के अनुसार, प्रसव के बाद के पहले 42 दिन एक महिला के लंबे समय तक सेहतमंद रहने के लिए आवश्यक होते हैं. इस अवधि में मां को प्रसव से उबरने, ताकत हासिल करने और हार्मोनल संतुलन को बहाल करने में मदद करने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है. ठीक वैसा ही जैसी हमारी दादी-नानी करती भी आई हैं.

Advertisement

आयुर्वेद के मुताबिक प्रसवोत्तर (प्रसव के बाद) में देखभाल जरूरी होती है क्योंकि गर्भावस्था और प्रसव के कारण वात में काफी वृद्धि होती है, जिससे थकान, पाचन संबंधी समस्याएं, शरीर में दर्द और भावनात्मक असंतुलन होता है. यदि उचित देखभाल नहीं की जाती है, तो बहुत दिक्कत हो सकती है. इस दौरान निद्रा अहम होती है. वहीं मॉडर्न पैथी भी कुछ ऐसा ही कहती है.

दिल्ली स्थित एक प्रतिष्ठित अस्पताल में ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की लीड कंसल्टेंट डॉ. मंजूषा गोयल भी कुछ ऐसा ही सोचती हैं. बताती हैं कि नींद की कमी के पीछे कई वजहें होती हैं. बात सिर्फ थकान की नहीं है. जब नींद पूरी नहीं होती, तो उसका असर पूरे शरीर और दिमाग पर होता है. चिड़चिड़ापन बढ़ता है, मन अशांत रहता है, छोटी-छोटी बातों में उलझन होती है। धीरे-धीरे ये थकावट आपकी इम्युनिटी, मूड और सोचने-समझने की क्षमता पर असर डालती है. यहां तक कि हार्ट हेल्थ और मेटाबॉलिज़्म भी प्रभावित हो सकता है. इसलिए, न्यू मॉम्स के लिए ये जरूरी है कि जब भी मौका मिले, थोड़ा आराम कर लें.

ये भी पढ़े: Neem Flower Benefits: नीम की पत्ती ही नहीं, फूल भी है औषधीय गुणों का खजाना, हीटवेव हो या अपच, मिलती है चुटकियों में राहत