सावन में रखें सोलह सोमवार का व्रत, पूजा विधि और महत्व जानिए यहां

क्या आप जानते हैं कि सोलह सोमवार के व्रत का भी खास महत्व है. आइए हम आपको बताते हैं सोलह सोमवार के व्रत की पूजा विधि क्या है और इस व्रत को कैसे रखा जाता है..

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Solah Somwar 2024

Solah Somwar 2024: हिन्दू धर्म में सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित रहता है. आज से श्रावण मास की शुरुआत हो गई है और महादेव के भक्तों ने शिव जी (Shiv Ji) को खुश करने के लिए उनकी पूजा अर्चना शुरू कर दी है, आज के दिन भक्त तरह-तरह के उपाय करते हैं. कहा जाता है कि जो कोई सोमवार के व्रत रखता है उसे मनचाहा फल मिलता है और भोले बाबा (Bholenath Puja) उससे बेहद प्रसन्न रहते हैं. अविवाहित लड़कियों और लड़के भी इस व्रत को विशेष रूप से करते हैं ताकि उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिल सकें, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोलह सोमवार के व्रत का भी खास महत्व है. आइए हम आपको बताते हैं सोलह सोमवार के व्रत की पूजा विधि क्या हैं और इस व्रत को कैसे रखा जाता है.

सोलह सोमवार व्रत की पूजा विधि जानिए

सूर्योदय से पहले पानी में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए.

इसके बाद वस्त्र धारण करना चाहिए और फिर शिवजी के सामने 16 सोमवार के व्रत का संकल्प लेना चाहिए.

व्रत का संकल्प लेने के लिए हाथ में पान का पत्ता, सुपाड़ी, जल, अक्षत और कुछ सिक्के लेकर शिवजी के मंत्र का जाप करें, फिर सभी वस्तुएं भगवान शिव की मूर्ति के आगे समर्पित करनी चाहिए.

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16 सोमवार की पूजा दिन के तीसरे पहर में चार बजे के आस पास भी कर सकते हैं लेकिन सूर्यास्त से पहले पूजा सम्पूर्ण हो जाना चाहिए इस बात का ध्यान रखें.

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16 सोमवार का पूजन शाम के समय प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल का समय सबसे उत्तम माना जाता है.

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यदि आप घर में पूजा कर रहे हैं तो तांबे के एक पात्र में शिवलिंग रखें और ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए भगवान भोलेनाथ को पंचामृत अर्पित करें और फिर जल से स्नान कराकर उन्हें सफ़ेद चंदन लगाएं.

शिवलिंग का विधि विधान से अभिषेक करने के बाद बेल पत्र, धूप, दीप, धतूरा, अष्टगंध, मां पार्वती के श्रृंगार की सामग्री, फल, मिठाई आदि शिव जी और माता पार्वती को चढ़ाएं.

इसके बाद 16 सोमवार की व्रत कथा का ज़रूर पाठ करें, महामृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा का पाठ भी विशेष रूप से करें और इसके बाद शंकर जी की आरती करें.

16 सोमवार की पूजा में भगवान शिव को चूरमे का भोग लगाना चाहिए,

भगवान को भोग के रूप में खीर, फल, बेर, नैवेद्य आदि अर्पित करना चाहिए और सभी को प्रसाद बांटने के बाद ख़ुद ग्रहण करें,

प्रति सोमवार एक ही समय व्रत खोलें और बिना नमक का भोजन ग्रहण करें और इस प्रकार सोमवार तक व्रत रखने के बाद 17 वें दिन सोमवार को उद्यापन करें.

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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)