रोग प्रतिरोधक क्षमता का रक्षक कपालभाति, तनाव को करता है दूर

कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है. यह खासतौर से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ, साइनस, अस्थमा या एलर्जी की समस्या होती है. नियमित अभ्यास से श्वसन नली की गहराई से सफाई होती है और कफ बाहर निकलता है. इससे सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है और फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है.

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दिनभर की भागदौड़, चिंता, और तनाव के बीच प्राणायाम हमें शांति देता है. प्राणायाम में 'प्राण' शब्द का अर्थ 'जीवन की ऊर्जा' है, और 'आयाम' का मतलब 'विस्तार' है. प्राणायाम केवल 'श्वास अभ्यास' नहीं, यह जीवन को गहराई से जीने की कला है. यह शरीर को नहीं, बल्कि आत्मा को छूता है। यह आपके अंदर चल रहे शोर को शांत कर सुकून देता है. इसी प्राणायाम में एक महत्वपूर्ण अभ्यास है- 'कपालभाति', जो न केवल शरीर की सफाई करता है, बल्कि नई ऊर्जा का संचार भी करता है.

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अनुसार, यह पाचन क्रिया को मजबूत करता है. इससे पेट की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, जिससे आंतों में रक्त संचार बढ़ता है और पाचन एंजाइम बेहतर होते हैं। इससे गैस, कब्ज, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं में राहत मिलती है. नियमित अभ्यास से भूख बेहतर लगती है और शरीर में विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं.

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कपालभाति केवल पेट की सफाई नहीं करता, यह मानसिक शांति और याददाश्त को भी तेज करता है. जब हम जोर से श्वास छोड़ते हैं, तो फेफड़े साफ होते हैं और मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलती है. इससे याददाश्त, एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता में वृद्धि होती है। यह तनाव, चिंता और बेचैनी को कम करता है, जिससे मन स्थिर और शांत होता है.

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यह वजन घटाने का भी सहज उपाय है. कपालभाति को करते समय जब हम झटके से श्वास बाहर निकालते हैं, तो शरीर की चर्बी, खासकर पेट के आसपास की चर्बी, घटने लगती है. यह मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और कैलोरी को बर्न करता है.

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इनके अलावा, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता का रक्षक भी है। कपालभाति शरीर में मौजूद सभी विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है. इसके चलते एंटीबॉडी का निर्माण तेज होता है और शरीर की बीमारियों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। यह वायरल संक्रमण, फ्लू, सर्दी-खांसी जैसी आम बीमारियों से बचाव में मदद करता है.

ऐसे करें 

कपालभाति प्राणायाम करने के लिए आप सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में सीधे बैठें और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें. दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और ध्यान मुद्रा में रहें. अब नाक से धीरे-धीरे सांस अंदर लें और फिर झटके से सांस बाहर छोड़ें। इस दौरान पेट को भीतर की ओर खींचें. कपालभाति में सांस बाहर छोड़ने पर ध्यान देना जरूरी है. शुरुआत में इसे 2 से 3 मिनट करें और धीरे-धीरे अभ्यास के साथ इसे 10-15 मिनट तक बढ़ा सकते हैं. इसे सुबह खाली पेट करना सबसे लाभकारी होता है, लेकिन शाम को भी खाना खाने से 3-4 घंटे पहले किया जा सकता है. गर्भवती महिलाएं, हाइपरटेंशन, हर्निया, हृदय रोग या स्लिप डिस्क से पीड़ित लोग यह प्राणायाम करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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