International Tea Day: पारिवारिक एकता से लेकर चुनावी मद्दे तक... जानें चाय का इतिहास और इसकी दिलचस्प कहानी...

International Tea Day 2024: जब भी चाय की चुस्की के साथ बातें शुरू होती है तो समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता. सदियों से चाय के बहाने परिवार के लोग एक साथ बैठते आ रहे हैं. लोग एक साथ बैठकर चाय की चुस्की पर ढेर सारी बातें करते हैं... ऐसे में अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर जानते हैं चाय से जुड़ी खास बातें..

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चाय का नाम सुनते ही लोग हर परेशानी भूल जातें हैं. चाहें ये परिवारिक एकता की बात हो या देश के गर्मागरम मुद्दे. जब भी चाय की चुस्की के साथ बातें शुरू होती है तो समय कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता. चाय दूर हो गए लोगों को एक साथ ले आती है. सदियों से चाय के बहाने परिवार के लोग एक साथ बैठते आ रहे हैं. लोग एक साथ बैठकर चाय की चुस्की पर ढेर सारी बातें करते हैं... वहीं देश में चाय की चुस्की पर चुनावी चर्चा देखने को मिलता है. ऐसे में यहां चाय के बारें में कुछ नया और खास जानते हैं... चाय की कहानी और इतिहास क्या है... और क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस? चाय पीने के क्या हैं फायदे... हालांकि आपको ये सुनकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन आज हम आपको चाय के फायदे भी बताएंगे. 

भारत में चाय के इतिहास

एक पुरानी कहावत है कि अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अंग्रेजी यहां ही छोड़ गए. बता दें कि अंग्रेज भारत में सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं ,बल्कि चाय भी छोड़कर चले हैं. भारत में पारिवारिक एकता से लेकर चुनावी मद्दे तक... चर्चा में रहने वाली चाय  ब्रिटिशर्स की देन है. ब्रिटिश ही भारत में चाय लेकर आए थे. दरअसल, ये दिलचस्प  कहानी साल 1834 की है, जब गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक भारत आए थे. तब लॉर्ड बैंटिक असम पहुंचे थे. उन्होंने असम के लोगों को चाय की पत्तियों को पानी में उबालकर दवाई की तरह पीते हुए देखा. जिसके बाद बैंटिक ने असम के लोगों को इस पत्तियों से चाय बनाने के बारे में बताया और इस तरह से भारत में चाय की शुरुआत हुई.

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1835 के बाद भारत में शुरू हुआ चाय का कारोबार

इसके बाद साल 1835 में असम में चाय के बगान लगाए गए और फिर साल 1881 में इंडियन टी एसोसिएशन (Indian Tea Association) की स्थापना की गई. इससे भारत के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भी चाय के उत्पादन को फैलाया गया. ब्रिटिशतकाल में भारत में उगने वाली ये चाय अंग्रेजों की कमाई का एक अच्छा जरिया बन गई. वो भारत में उगाई गई चाय को विदेशों में भेजकर मोटी कमाई करते थे. 

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सबसे पहले कहां और कैसे हुई थी चाय की शुरुआत

बहुत कम  ही लोग चाय के इतिहास के बारें में जानते हैं. दरअसल, चाय का इतहास करीब 5000 साल पुराना है और ये  चीन से जुड़ा हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि 2732 बीसी में चीन के शासक शेंग नुंग ने गलती से चाय की खोज की थी.

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दरअसल, एक बार चीन के शासक शेंग नुंग के उबलते पानी में कुछ जंगली पत्तियां गिर गई थी. वहीं उबलते हुए पानी में पत्तियां गिरने से अचानक पानी की रंग बदल गया और पानी से अच्छी खुशबू आने लगी. जब शेंग नुंग ने इस पानी को पिया तो उन्हें इसका स्वाद काफी पसंद आया है. वहीं इसे पीते ही उन्हें ताजगी के साथ-साथ ऊर्जा का एहसास हुआ और इस तरह गलती से चाय की शुरुआत हुई, जिसे चीन के शासक ने चा.आ नाम दिया था.

क्यों मनाया अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस

अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस की शुरुआत साल 2020 से हुई और इस साल पांचवीं बार विश्व चाय दिवस मनाया जा रहा है. हालांकि इससे पहले भी विशव के कई हिस्सों में चाय दिवस मनाया जाता था. दरअसल, रिपोर्ट की मानें तो पूरे विश्व में चाय उत्पादक देश साल 2005 से 15 दिसंबर को हर साल अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाते हैं. हालांकि साल 2015 में भारत सरकार ने सयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के माध्यम से चाय दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था. जिसके बाद  प्रस्ताव को 21 दिसंबर, 2019 को स्वीकार किया गया और 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाने का निर्णय लिया. जिसके बाद पहली बार 21 मई, 2020 को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया गया.

चाय के फायदे

चाय इम्युनिटी को बूस्ट करने से लेकर डायबिटीज के जोखिम को भी कम करता है. साथ ही ये ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है. बता दें कि सिरदर्द में चाय की चुस्की लेने से दर्द का असर कम हो जाता है. 

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