Diwali को लेकर भ्रम हुआ दूर, अब पूरे देश में एक साथ इस दिन मनाया जाएगा दीपोत्सव

Diwali Kab Hai: इस वर्ष दिवाली कब मनाई जाएगी. इसको लेकर अब तक अलग-अलग 31 अक्टूबर और एक नवंबर की बात सामने आ रहे हैं. लेकिन, पंडितों और हिंदू धर्म के विद्वानों की हुई बैठक में एक तारीख पर सहमति बन गई है. खबर में जानिए- क्या है वह तारीख.

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Diwali Kab Hai Kaun Si Tarikh Ko: इस वर्ष दीपावली की तारीख (Diwali Date) को लेकर काफी भ्रम बना हुआ था. कई लोग 31 अक्टूबर और कुछ लोग एक नवंबर को दिवाली मनाने की बात कह रहे थे. हालांकि, अब इस पर स्पष्टता आ गई है. इसके साथ ही अब पूरे देश में 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का निर्णय लिया गया है. दरअसल, हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम रावण पर विजय पाकर अयोध्या लौटने थे. लिहाजा, इसी की खुशी में इस दिन भारत में बसने वाले सभी हिंदू इसकी खुशी में दिवाली का त्योहार मनाते हैं. माना जाता है कि 14 वर्षों का वनवास काटकर भगवान राम (Lord Rama) जब अयोध्या (Ayodhya) लौटे थे, तो अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे. यहीं से इस त्योहार को मनाने की परंपरा शुरू हुई थी.

31 अक्टूबर को इसलिए मनाई जाएगी दीवाली (Diwali Celebration)

दरअसल, जयपुर के केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित अखिल भारतीय विद्वत परिषद की धर्मसभा में विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों ने ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर सर्वसम्मति से 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का निर्णय लिया. धर्म शास्त्रों के अनुसार 1 नवंबर को प्रदोष काल में केवल कुछ मिनट के लिए अमावस्या तिथि रहेगी, जिससे लक्ष्मी पूजन का समय उपलब्ध नहीं होगा. वहीं, 31 अक्टूबर को प्रदोष काल और अर्धरात्रि दोनों में अमावस्या रहने के कारण इसे दीवाली मनाने के लिए उपयुक्त माना गया है.

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दिवाली का का शुभ मुहूर्त (Laxmi Puja Shubh Muhurt)

इस वर्ष दीपावली पर पूजन का सर्वोत्तम मुहूर्त वृषभ स्थिर लग्न में सायं 6:27 से रात 8:23 बजे तक है.  इस समय अवधि में घरों और प्रतिष्ठानों में समृद्धि की कामना से लक्ष्मी पूजन का एक घंटे 57 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है. इसके बाद सिंह स्थिर लग्न में मध्यरात्रि 12:53 बजे से भोर 3:09 बजे तक का मुहूर्त उपलब्ध रहेगा. 

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लक्ष्मी पूजन का महत्व (Importance of Diwali Puja)

ब्रह्म पुराण के अनुसार अमावस्या की रात को माता लक्ष्मी घर-घर में जाती हैं. इसलिए अमावस्या की अर्धरात्रि में खुला घर रखने से लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, 31 अक्टूबर को अमावस्या का प्रवेश प्रदोष काल में हो जाएगा, जिससे यह तिथि लक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ है.

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एक नवंबर को इसलिए नहीं मनाई जाएगी दीवाली (Diwali Date and Time)

पंडितों के मुताबिक एक नवंबर को प्रदोष काल के बाद अमावस्या कुछ ही मिनटों के लिए रहेगी, जिससे लक्ष्मी पूजन संभव नहीं होगा. माता लक्ष्मी केवल एक ही दिन अर्धरात्रि में कृपा बरसाने के लिए भ्रमण करती हैं, जो कि इस साल 31 अक्टूबर की अर्धरात्रि है.

दिवाली पूजन विधि (Diwali Pujan Vidhi)

दीपावली पर पूजन के लिए पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं. चौकी पर सबसे पहले गणेश जी की और उनके दाहिनी ओर लक्ष्मी जी की मूर्ति रखें. जल छिड़क कर संकल्प लें और घी का दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें. मां लक्ष्मी और गणेश जी को फूल और मिठाई अर्पित करें. पहले गणेश और फिर लक्ष्मी जी के मंत्रों का जाप करें, आरती करें और शंख ध्वनि करें. इसके बाद घर के प्रत्येक कोने में दीप जलाएं.