Mata Kalratri Katha: चैत्र नवरात्रि का आज सातवां दिन (Chaitra navratri day 7) है, यह दिन मां दुर्गा के रौद्र रूप माता कालरात्रि के लिए समर्पित होता है, इन्हें माता काली का भी कहा जाता है. माता का यह रुप बहुत भयंकर है और मां काली की पूजा (Maa kali puja) करने से जातक के मन में किसी भी प्रकार के भय की जगह नहीं बचती है. माता कालरात्रि की उत्पत्ति कैसे हुई और उन्होंने इस रूप (Mata Kalratri swaroop) को धारण करके किस राक्षस का वध किया, आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे...
अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति
माता कालरात्रि की अराधना करने से साधक को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है इसीलिए हमेशा तंत्र मंत्र के साधकों में माता कालरात्रि की पूजा विशेष रूप से प्रसिद्ध है. यही कारण है कि मां कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि में करने का विधान है. मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली है इसीलिए उन्हें हिंदू धर्म में वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. साथ ही यह भी मान्यता है कि मां काली की पूजा से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति भी मिलती है.
आइए जानते हैं माता कालरात्रि की पौराणिक कथा के बारे में
पौराणिक कथाओं के मुताबिक़ एक बार शुम्भ, निशुम्भ और रक्तबीज नाम की राक्षसों ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था. इन राक्षसों के हाहाकार से परेशान होकर सभी देवता गणेश और शिवजी के पास गए और इन से इस समस्या से बचने का उपाय मांगने लगे तब माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण कर शुभ निशुम्भ का वध कर दिया. लेकिन जब रक्तबीज के वध की बारी आयी तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों की संख्या में रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गयी क्योंकि रक्तबीज को यह वरदान मिला था कि यदि उनके रक्त की भूमि धरती पर गिरती है तो उनके जैसा एक और दानव उत्पन्न हो जाएगा.
इस तरह से हुआ था दैत्य रक्तबीज का वध
ऐसे में दुर्गा ने अपने तेज से देवी कालरात्रि को उत्पन्न किया इसके बाद मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और माता कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रथ को ज़मीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया और इस तरीक़े से रक्तबीज का अंत हो गया. आज के दिन जो भक्त सच्चे मन से माता के इस स्वरुप की पूजा और आराधना करता है उसे अवश्य रूप से फल मिलता है और जीवन में किसी भी प्रकार का भय नहीं होता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)
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