Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा पर पंडित जी से जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त, ऐसी है व्रत कथा

इस साल वैशाख पक्ष पूर्णिमा तिथि 23 मई 2024 दिन बृहस्पतिवार को पड़ रही है, आइए जानते हैं, बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Auspicious time of Buddha Purnima) क्या है और पूजा विधि (Buddha vidhi) के बारे में, जिसकी जानकारी पंडित दुर्गेश ने दी है....

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Buddha Purnima Puja Vidhi: वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा (Buddha Purnima 2024) तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का पावन भारत पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल वैशाख पक्ष पूर्णिमा तिथि 23 मई 2024 (Buddha Purnima 2024 Date and Time) दिन बृहस्पतिवार को पड़ रही है, आइए जानते हैं, बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Auspicious time of Buddha Purnima) क्या है और पूजा विधि (Buddha vidhi) के बारे में, जिसकी जानकारी पंडित दुर्गेश ने दी है...

बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त / Buddha Purnima Timings

बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 22 मई 2024 से शुरू हो गया है और 23 मई 2024 दिन बृहस्पतिवार की शाम 06 बज कर 41 मिनट तक रहेगा, इसी कारण से उदय कालिक पूर्णिमा तिथि 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा का पावन त्योहार मनाया जाएगा.

चंद्रमा को दिया जाता है अर्घ्य

इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्ध्य देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से पूजा करने से मानसिक शांति तथा घर में धन-वैभव की प्राप्ति होती है. इस दिन दान-पुण्य, हवन, पूजा-पाठ, जप, तप करने से देवता प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही इस दिन गरीबों को भोजन कराने के साथ-साथ गाय तथा जानवरों को जल पिलाने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं.

भगवान बुद्ध ने खीर पीकर खोला था व्रत

भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. इस दिन साथ तक विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, इस दिन मांस-मदिरा का त्याग करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध वैशाख शुक्ल पक्ष तिथि को ही बोधगया में बहुत बौध वृक्ष के नीचे बुद्धत्व ज्ञान को प्राप्त किया था, तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्त करने के बाद फिर खीर पीकर अपना व्रत खोला था, इसी कारण से इस दिन भगवान बुद्ध को खीर का प्रसाद जरूर चढ़ाना चाहिए.

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बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पहले जगकर घर की साफ-सफाई करके इस स्नान के बाद पूजा स्थल पर बैठना चाहिए.
  • भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए.
  • इसके लिए आप भगवान विष्णु शिव माता पार्वती को शुद्ध जल से स्नान कराकर वस्त्र हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, अबीर, गुलाल, पुष्प, फल, फूल, मिष्ठान इत्यादि अर्पित करके प्रार्थना करें.
  • इसके बाद माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की आरती उतारे.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.

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