Bhringraj Ayurveda: आयुर्वेद में भृंगराज का खास स्थान है. यह बालों को काला करने और चमत्कार बनाने के साथ ही बुद्धि को भी तेज करता है. आयुर्वेद में इसे ‘केशराज' नाम से भी जाना जाता है. इसके पत्ते, फूल, तने और जड़ सभी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं.
भृंगराज का वैज्ञानिक नाम 'एक्लिप्टा अल्बा, है. यह एस्टेरेसी परिवार से संबंधित है और इसे अंग्रेजी में फाल्स डेजी और आम बोलचाल की भाषा में घमरा और भांगड़ा जैसे नामों से जाना जाता है. यह भारत, चीन, थाईलैंड और ब्राजील जैसे देशों में आमतौर पर दलदली स्थानों में पाया जाता है. यह घरों के आस-पास के मैदान में आसानी से उग जाता है.
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि भले ही यह आसानी से मिल जाता है, मगर इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल खुद तब ही करें जब अच्छी तरह से इसकी पहचान करना आता हो और पता हो कि इसे कैसे इस्तेमाल करना है. यह आयुर्वेदिक स्टोर पर भी मिल जाता है.
चरक संहिता में इसे ‘पित्तशामक' और ‘रक्तशोधक' बताया गया है. यह लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ावा देने और खून को साफ करने में भी मदद करता है, जो लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने में सक्षम माना जाता है. चरक संहिता के अनुसार, समय से पहले बालों का सफेद होना पित्त दोष के असंतुलन से जुड़ा है. यह पित्त को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे समय से पहले सफेद बालों को सफेद करने की प्रक्रिया को धीमा करता है.
वहीं, सुश्रुत संहिता में भृंगराज तेल को बालों की जड़ों को मजबूत करने और समय से पहले सफेदी रोकने वाला ‘अग्रणी औषधि' कहा गया है.ग्रामीण इलाकों में आज भी बुजुर्ग इसके पत्तों को पीसकर लेप बनाते हैं और बालों में लगाते हैं, जबकि शहरी इलाकों में लोग इसका तेल दुकानों पर खरीदते हैं.
ऐसे बना सकते हैं
ग्रंथों में इसके तेल के बनाने की विधि का उल्लेख मिलता है. इसका तेल घर पर भी आसानी से बनाया जा सकता है. बस इसके लिए आप भृंगराज, मीठा नीम, बारीक कटे हुए प्याज, मेथी दाना और नीम इन सबको सरसों के तेल में अच्छे से पका लें. जब सामग्री अच्छे से पक जाए और तेल में उनका अर्क उतर जाए, तब तेल को ठंडा कर छानकर एक बोतल में स्टोर कर सकते हैं.
ये भी मिला सकते हैं
भृंगराज और तेल में पड़ी सामग्री की तासीर गरम होती है और कुछ लोगों को इससे दिक्कत हो सकती है. ऐसे में तेल में आप कपूर मिला सकते हैं. यह तेल की गर्मी को संतुलित करने में मदद करता है. आप नारियल या तिल के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि इनकी तासीर सरसों के तेल की तुलना में थोड़ी ठंडी होती है, खासकर यदि आपकी खोपड़ी अत्यधिक संवेदनशील है. हालांकि, इसके प्रयोग से पहले चिकित्सकों से एक बार जरूर सलाह लेनी चाहिए.
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