Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी इकलौता ऐसा पर्व..जिसमें दिया जाता हैं तारों को अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त

करवा चौथ (Karwa Chauth) के तीन दिन बाद माताओं द्वारा यह व्रत रखा जाता है. व्रत को रखने के पीछे की मान्यता है कि माताएं अपनी संतानों की सेहत और सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं.

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Ahoi Ashtami: हिन्दू धर्म में अहोई अष्टमी का विशेष महत्व है. हर साल कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का व्रत रखा जाता है. करवा चौथ (Karwa Chauth) के तीन दिन बाद माताओं द्वारा यह व्रत रखा जाता है. व्रत को रखने के पीछे मान्यता है कि माताएं अपनी संतानों की सेहत और सौभाग्य के लिए यह व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के दिन रखे जाने वाले व्रत (Ahoi Ashtami Vrat) से जुड़ी कुछ जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं.

तारों को अर्घ्य देने वाला इकलौता पर्व
इस दिन माताएं दिन भर उपवास रखती हैं और अहोई माता की पूजा करती हैं. माता की पूजा करने के बाद तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं. अहोई अष्टमी इकलौता ऐसा पर्व है, जिसमें तारों को अर्घ्य दिया जाता है.

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इसीलिए की जाती है तारों की पूजा
अहोई अष्टमी व्रत में आसमान में तारों की संख्या अनगिनत है. मान्यता है कि इस दिन माताएं इन अनगिनत तारों की पूजा इसलिए करती हैं ताकि उनके कुल में भी इतनी ही संतान हों. इसके साथ ही माताएं ये भी प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार तारे सदा-सदा के लिए आसमान में चमकते रहते हैं. वैसे ही उनके कुल की संतानें और परिवार के वंशज भी सदा-सदा के लिए तारों की तरह चमकते रहें और उनके कुल का नाम रोशन करें.

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वहीं, धार्मिक मान्यता के अनुसार आसमान के सभी तारे अहोई माता की संतान हैं. इसीलिए अहोई अष्टमी का व्रत तारों को अर्घ दिए बिना पूरा नहीं माना जाता है.

इस समय पर करें पूजा
राजधानी भोपाल के ज्योतिषाचार्य राकेश के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 5 नवंबर 2023 को सुबह 12 बज कर 59 मिनट से आरंभ हो रही है, जो 6 नवंबर को सुबह 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि और तारा देखने के कारण अहोई अष्टमी का व्रत 5 नवम्बर को रखा जाएगा. तारों को देखने का समय शाम के 5 बजकर 58 मिनट पर बताया जा रहा है.

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व्रत रखने से होती है संतान सुख की प्राप्ति
अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और स्वास्थ्य के लिए रखती हैं, लेकिन इस व्रत को लेकर मान्यता है कि जिन महिलाओं को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है अष्टमी का व्रत उनके लिए बेहद ज़रूरी है. इस दिन हुई माता की पूजा-अर्चना करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.

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