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शहडोल- मध्यप्रदेश का आदिवासी बहुल जिला है शहडोल, यहां है मीथेन जैसी गैसों का भंडार

शहडोल मध्यप्रदेश का आदिवासी बहुल जिला है. इस जिले का नाम शहडोलवा अहीर के नाम पर है. इसके बसने के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है. जानकार बताते हैं कि सोहागपुर गांव करीब 2.5 किमी में फैला है.

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 शहडोल मध्य प्रदेश का एक खूबसूरत जिला है. कहा जाता है कि शहडोल का वास्तविक नाम सहस्त्रडोल था जिसका अर्थ होता था हजार तालाब. मध्यप्रदेश में शहडोल को महाभारत कालीन विराटेश्वर मंदिर के लिए भी जाना जाता है. सोन नदी पर बनी हुई बाणसागर परियोजना का मुख्यालय शहडोल जिले को ही बनाया गया है. शहडोल जिले के अंतर्गत आने वाली सोहागपुर कोयला खदान से अच्छी गुणवत्ता का कोयला निकाला जाता है. शहडोल जिले के अंतर्गत ही अमलाई नाम का स्थान है जहां पर बिरला समूह ने अपनी ओरियंट पेपर मिल की स्थापना की थी. ये मध्य प्रदेश में स्थापित होने वाला पहला निजी क्षेत्र का कागज कारखाना है. अपनी बनावट की दृष्टि से शहडोल को दक्कन के पठार का उत्तर पूर्वी किनारा माना जाता है. 

यहां है मीथेन गैस का भंडार 

तालाबों, वनों और प्राकृतिक संसाधनों से इस जिले की पहचान है.  शहडोल बघेलखंड पठार में बसा हुआ है. कोयला और गैस को लेकर ये जिला काफी प्रसिद्ध है. यहां मीथेन गैस का भंडार पाया जाता है. ओरिएंटल पेपर मिल भी इसी जिले में है. हाल ही में रिलायंस पेट्रोलियम समूह ने शहडोल जिले के सुहागपुर से मीथेन गैस का उत्पादन शुरू किया है. शहडोल मध्य प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला जहां यूरेनियम भी पाया गया है.

जंगल साफ कर बसने वाले के नाम पर शहडोल का नाम
शहडोल मध्यप्रदेश का आदिवासी बहुल जिला है. इस जिले का नाम शहडोलवा अहीर के नाम पर है. इसके बसने के पीछे की कहानी काफी दिलचस्प है. जानकार बताते हैं कि सोहागपुर गांव करीब 2.5 किमी में फैला है. बघेलखण्ड के महाराजा वीरभान सिंह के दूसरे पुत्र जामनी भान ने सोहागपुर में बसने का फैसला किया और आसपास बसने के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने का वादा भी किया था. तब उन्होंने ऐलान किया था कि यहां के जंगलों को साफ कर बसने वाले के नाम पर इस जगह का नाम रखा जाएगा. कभी यहां रीवा के महाराजा और ब्रिटिश शासन का शिविर स्थल भी बना. शहडोल गांव जैसे ही कस्बा बना, इससे कई गांव जुड़ गए. साल 1948 का समय था, जब रियासतों का विलय हुआ और जिला मुख्यालय उमरिया से शहडोल शिफ्ट कर दिया गया.

विश्व प्रसिद्ध है बाणगंगा का मेला
जिले में सबसे बड़ा और प्रसिद्ध मेला बाणगंगा का मेला है. ये सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है. मकर संक्रांति के दिन मेले की शुरुआत होती है, जो 5 दिनों तक चलता है. इस मेले का इतिहास 125 साल पुराना है. रीवा महाराजा गुलाब सिंह ने 1895 में पहली बार मेले का आयोजन करवाया था. मेले का उदेश्य स्नान, दान-पुण्य है. यहीं कल्चुरी काल का हज़ारों साल पुराना बना विराट मंदिर भी है. इसका ऐतिहासिक प्रमाण भी है. 9वीं 10वी शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण कल्चुरी शासक युवराज देव प्रथम ने करवाया था. उन्होंने इस तरह के 84,000 मंदिर बनवाने का संकल्प लिया था, लेकिन दो ही मंदिर बनवा सके. दूसरा उमरिया जिले का मढ़ीबाग मंदिर है. इन मंदिरों में भगवान भोलेनाथ की पूजा होती है. ये भी कहा जाता है कि जब पांडव वनवास में थे, तब यह मंदिर भगवान शिव का पूजा स्थल था.

यहां से चुनी गईं थीं देश की पहली किन्नर विधायक शबनम मौसी 

शहडोल देश की पहली किन्नर विधायक देने वाला जिला है. भारत की पहली  किन्नर विधायक शबनम मौसी सुहागपुर से चुनी गई थीं. वो 1998 से 2003 तक मध्य प्रदेश राज्य विधान सभा के लिए निर्वाचित सदस्य थीं. 

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विकास की ओर शहडोल
शहडोल मध्यप्रदेश के उन जिलों में है, जो तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और विकासशील क्षेत्रों में से एक है. खनिज संपदा के भंडार होने के साथ ही यहां कई उद्योग स्थापित होने को हैं. वनों से भरे इस जिले में लकड़ी, हस्तशिल्प और फर्नीचर के व्यवसाय लोकप्रिय हैं.

शहडोल के बारें में

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  • जनसंख्या- 10.66 लाख
  • साक्षरता- 66.67 प्रतिशत
  • विधानसभा -2
  • प्रमुख उत्पादन- सहजन (मुंगना)
  • प्रमुख व्यंजन- कुटकी खीर, रसाज कढ़ी
  • ब्लॉक -5
  • गांव- 133
  • ग्राम पंचायत -11664

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