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कटनी: चूना पत्थर का है शहर, 1930 में ही मना लिया था स्वतंत्रता दिवस

कटनी में चूना पत्थर और बॉक्साइट के विशाल भंडार है. यहां कैल्साइट, डोलोमाइट, फायरक्ले, लेटराइट, बार्टिजन भी भारी मात्रा में पाए जाते हैं. इन पत्थरों ने जिले की अर्थव्यवस्था को भी संभाल रखा है.

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कटनी मध्य प्रदेश का एक ऐसा जिला है जहां के पत्थर ही यहां के लिए 'हीरा' हैं. इस जिले को 'चूना पत्थर का शहर' नाम से जाना जाता है. यहां संगमरमर भी ज्यादा होता है. यहां के स्लीमनाबाद गांव की पहचान तो संगमरमर के पत्थरों से ही है. कटनी के पत्थर ही इतने कीमती हैं कि यहां की अर्थव्यवस्था को संभालने में अहम् योगदान देते हैं.. आइए जानते हैं इस जिले से जुड़े दिलचस्प फैक्ट्स...

चूना पत्थर और बॉक्साइट का विशाल भंडार
कटनी चूना पत्थर और बॉक्साइट का विशाल भंडार है. यहां कैल्साइट, डोलोमाइट, फायरक्ले, लेटराइट, बार्टिजन भी भारी मात्रा में पाए जाते हैं. खेती और उद्योग में यहां की ज्यादातर आबादी शामिल है. गेहूं, चना, दालें और धान की यहां अच्छी पैदावार होती है. कटनी जंक्शन से करीब 25 किलोमीटर दूर स्टोन पार्क इंडस्ट्रीज का एक ग्रुप है, जो मार्बल्स के लिए प्रसिद्ध है.

कटनी का दिलचस्प इतिहास
कटनी नदी के नाम पर इस जिले का नाम रखा गया है. यहां की संस्कृति महाकौशल, बुंदेलखंड और बघेलखंड का मिश्रण है. यह शहर 'मुडवारा' नाम से भी प्रसिद्ध है. 20वीं सदी की शुरुआत के बाद से ही कटनी को शहर के तौर पर जाना जाता था. ब्रिटिश शासन में इस शहर का विकास शुरू हो गया था. 28 मई, 1998 को इसे जिला घोषित कर दिया गया.

कटनी और स्वतंत्रता संग्राम

 

कटनी को 'मध्य प्रदेश का बारडोली' भी कहा जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि यहां के लोग देश को आजाद करवाने के लिए महात्मा गांधी के साथ चले थे. बड़ी संख्या में लोग जेलों में भी रहे. आजादी से 17 साल पहले 26 जनवरी, 1930 को ही यहां पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था.

तब कटनी, सिहोरा, सिलौड़ी, उमरियापान, विजयराघवगढ़ समेत कई जगहों पर तिरंगा फहराकर पूर्ण स्वाधीनता का संकल्प लिया गया था. उस दिन हाथों में तिरंगा लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने जुलूस निकाला था.

कटनी आएं तो यहां जरूर घूमने जाएं
कटनी के आसपास कई ऐतिहासिक जगहें, मंदिर और पर्यटन स्थल हैं. जागृति पार्क यहां का प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट है. विजयराघवगढ़ किला और मंदिर भी ऐतिहासिक स्थल हैं. बहोरीबंद में ऐतिहासिक मूर्तियां और ग्रंथ यहां का पौराणिक महत्व बताते हैं. तिगवन मंदिर यहां के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. इसके अलावा रूपनाथ मंदिर, जिसे पंचलिंगी भी कहते हैं आस्था का प्रमुख केंद्र है. बिलहरी में वराह मंदिर और कामकंदला का किला, झिंझरी, सुंगरहा वैष्णव देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं.

कटनी एक नजर में

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  • जनसंख्या- 1,292,042
  • साक्षरता- 71.98%
  • विधानसभा क्षेत्र- 4
  • तहसील- 8
  • प्रमुख उत्पादन- मार्बल, संगमरमर

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