Clean City Indore: सफाई के साथ-साथ कचरे से हर महीने इंदौर करता है करोड़ों की कमाई, जानिये कैसे?

शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गीले कचरे से बायो CNG बनाने का एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र इंदौर (Indore) में है. इंदौर शहर हर माह कचरे से करोड़ों की कमाई करता है, आइए जानते हैं कैसे?

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Indore CNG Plant: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की सफ़ाई के चर्चे पूरे देश में किए जाते हैं. शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गीले कचरे से बायो CNG बनाने का एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र इंदौर (Indore) में है. इंदौर शहर हर माह कचरे से करोड़ों की कमाई (Earning from waste) करता है, आइए जानते हैं कैसे?

इंदौर में गीले कचरे से बनायी जाती है गैस

एशिया के सबसे बड़े बायो CNG प्लांट इंदौर में गीले कचरे से गैस बनायी जाती है. इंदौर निरंतर 6 बार देश का नंबर वन स्वच्छ शहर बना है और सातवीं बार भी इन्दौर स्वच्छता के मामले में अव्वल आने वाला है.

कभी कचरे से बन गए थे पहाड़

एक समय नियमित घर और दुकानों से निकलने वाले कचरे, सब्ज़ियां, जूठन, फलों के छिलके और अतिरिक्त सूखे कचरे को डम्प करने से इंदौर-देवास बायपास पर पहाड़ बन गए थे. शहर से इस मात्रा में कचरा निकल रहा था कि ये पहाड़ बनते ही जा रहे थे और खत्म नहीं हो रहे थे और फिर इंदौर ने कचरे से गैस बनाने की सोची.

फरवरी 2022 में देवगुराडिया के पास CNG प्लांट का प्रारंभ हुआ. यहां से 17 हज़ार किलोग्राम गैस रोज पंपिंग स्टेशन इत्यादि को सप्लाई होती है. इससे प्रत्येक महीने चार करोड़ रूपये की कमाई हो रही है. वहीं दावा किया जा रहा है कि 5-6 साल में इस प्लांट को बनाने में खर्च किये गये डेढ़ सौ करोड़ रुपए की लागत भी निकल जाएगी.

आइए जानते हैं कैसे कचरा CNG में बदला जा रहा है?

इंदौर शहर में नगर निगम के छः सौ गाड़ियां है, जो घर घर जाकर गीला सूखा कचरा बायोमेडिकल अपशिष्ट इत्यादि को अलग-अलग डब्बे में लेती है, यहां से नगर निगम के दस सब स्टेशनों पर कचरे को अलग-अलग करके डंप किया जाता है. यहां से बड़ी गाड़ियों में गीला कचरा लेकर बायो CNG प्लांट तक पहुंचाया जाता है और सभी गाड़ियों का कचरा एक जगह इकट्ठा कर देते हैं.

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JCB की तरह कई मशीन हैं जो इस कचरे को उठाती है. यहां से आटा चक्की नुमा मशीन में प्री ट्रीटमेंट यूनिट हॉपर में डाला जाता है. ये दो मशीनें लगी हुई है जिसमें नियमित रूप से कचरा डालते हैं. ट्रायल में स्क्रीनिंग होने के बाद सेकेंड हॉपर मशीन में इसे आगे बढ़ा दिया जाता है. आपको बता दें, ये मशीनें UK, जर्मनी, इटली और डेनमार्क से लायी गई हैं.

मांग के मुताबिक होती है सप्लाई

लंबी मशीनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बायो CNG गैस बनती है. जो छोटे-बड़े सिलेंडरों में भरते हैं. बड़ी गाड़ियों के जरिए गैस को डिमांड के मुताबिक सप्लाई भी किया जाता है.

इंदौर नगर निगम ने दी है 15 एकड़ जमीन

पीपीपी मॉडल से बायो CNG प्लांट का संचालन होता है. आपको बता दें, इंदौर नगर निगम ने 15 एकड़ जमीन इस प्लांट के लिए दी है. प्लांट का संचालन इंदौर क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कर रही है.

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