लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास, पक्ष में पड़े 454 वोट, दो ने किया विरोध

नई दिल्ली: लंबी चर्चा के बाद एक तिहाई बहुमत के साथ महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन बिल) बुधवार को लोकसभा से पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 454 और विपक्ष में 2 वोट पड़े. खबर के मुताबिक, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पर्ची के जरिए मतदान कराया.

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Amit Shah

नई दिल्ली: लंबी चर्चा के बाद एक तिहाई बहुमत के साथ महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन बिल) बुधवार को लोकसभा से पास हो गया है. इस बिल के पक्ष में 454 और विपक्ष में 2 वोट पड़े. खबर के मुताबिक, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पर्ची के जरिए मतदान कराया. यह बिल कल गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. वहां से पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा. 

महिला आरक्षण बिल के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू किया जाएगा. लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी. इस रिज़र्व की अवधि 15 वर्ष होगी. इसके बाद यदि संसद चाहे तो वह इस समय सीमा को बढ़ा सकते है. यह आरक्षण सीधे निर्वाचित जन प्रतिनिधियों पर लागू होगा. इसका मतलब यह है कि यह राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा.

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गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के सवालों के जवाब दिए 
 

गृह मंत्री अमित शाह ने महिला आरक्षण बिल पर वोटिंग से पहले विपक्ष के तमाम सवालों के जवाब दिए. अमित शाह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने पूरे देश में बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा बुलंद किया था. उन्होंने कहा कि इससे गुजरात में जागरूकता पैदा हुई है. इससे लिंगानुपात में भी सुधार देखने को मिला. अमित शाह ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी शिक्षा का लाभ यह हुआ कि एक तरफ लिंग अनुपात में सुधार हुआ और दूसरी तरफ गुजरात में प्राथमिक शिक्षा छोड़ने की दर 37% थी लेकिन जब मोदीजी प्रधान मंत्री बने, तो यह अनुपात घटकर सिर्फ 0.7 रह गया.

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अमित शाह ने इस दौरान कहा, "हमारे लिए यह राजनीति का नहीं, बल्कि मान्यता और संस्कृति का सवाल है. महिला सशक्तिकरण किसी संवैधानिक संशोधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और भागीदारी का सवाल है." पीएम मोदी (Narendra Modi) ने यह वादा उस दिन किया था, जिस दिन उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. यह सरकार का संकल्प है जिसका सम्मान किया गया है.'' गृह मंत्री ने बिल की मंजूरी में सहयोग के लिए भी कहा. 

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अगर महिला आरक्षण कानून बन भी गया तो दिक्कत क्या है? 

एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र के मुताबिक, 2029 के लोकसभा चुनाव से महिलाओं के लिए आरक्षण संभव हो सकता है. आरक्षण लागू करने के लिए एक लंबी संवैधानिक प्रक्रिया है.  इस बिल को 50% राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है. इसका मतलब यह है कि संसद से पारित होने और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा.  लेकिन सरकार पहले नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के नियमों को अधिसूचित करेगी. इसके बाद जनगणना की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके बाद परिसीमन आयोग लोकसभा और विधानसभा के परिसीमन का काम पूरा करेगा. जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही महिला आरक्षण कानून लागू होगा.

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