External Affairs Minister Dr S Jaishankar Interview : विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने हाल ही में अपनी पुस्तक 'व्हाई भारत मैटर्स' (Why Bharat Matters) की पहली प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को भेंट की है. न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) के साथ हुए एक इंटरव्यू में डॉ एस जयशंकर ने अपनी इसी पुस्तक को लेकर कई बातें साझा की हैं, इसके साथ ही उन्होंने चीन (China), पाकिस्तान (Pakistan) और कनाड़ (Canada) के बारे में अपने विचार व्यक्त किए है. इस दौरान उन्होंने महाभारत (Mahabharat)-रामायण (Ramayan), जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) और सरदार पटेल (Sardar Patel) का भी जिक्र किया है. आइए देखते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा है.
अपनी पुस्तक को लेकर क्या कहा?
विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने अपनी किताब 'व्हाई भारत मैटर्स' को लेकर बताया कि "मेरे अंदर के राजनयिक के पास अपने क्षेत्र का ज्ञान और अनुभव है. मेरे अंदर का राजनेता लोगों से इस पर बात करने की आवश्यकता महसूस करता है. दो गाथाएं या कहानियां जिनके साथ हम सभी बड़े हुए हैं, वे रामायण और महाभारत हैं. हम अक्सर रूपकों, स्थितियों और तुलनाओं का बहुत उपयोग करते हैं. हमारे सामान्य जीवन के बारे में अगर मैं बात करूं, तो मैं वहां से कुछ संदर्भ ला सकता हूं. जब हम दुनिया पर चर्चा करते हैं, तो क्या हम ऐसा करने के बारे में सोच सकते हैं?"
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि "मैंने कोशिश की है कि एक थीम लेकर उसे रामायण की प्रासंगिकता देने का प्रयास किया जाए. उदाहरण के लिए मैंने गठबंधन का उपयोग किया है. भगवान राम कितनी सावधानी से गठबंधन बनाते हैं और गठबंधन बनाने के लिए क्या करना पड़ता है? यह अपने आप नहीं बनता. कूटनीति में आपने मुझे पहले भी यह कहते सुना है कि राजनयिकों के दो प्रमुख उदाहरण हनुमान और श्रीकृष्ण हैं. अंगद या उसकी मां तारा भी ऐसे ही उदाहरण हैं. ये वे लोग हैं जिन्होंने बहुत कठिन परिस्थितियों में भी अपने कूटनीतिक कौशल का इस्तेमाल किया."
'भारत' के बारे में क्या बोले?
एस जयशंकर ने 'भारत' शब्द को लेकर चल रही बहस पर कहा, ''अभी बहुत सक्रिय बहस चल रही है. कई मायनों में लोग उस बहस का इस्तेमाल अपने संकीर्ण उद्देश्यों के लिए करते हैं. 'भारत' शब्द का सिर्फ एक सांस्कृतिक सभ्यतागत अर्थ नहीं है. बल्कि यह आत्मविश्वास है, पहचान है और आप खुद को कैसे समझते हैं और दुनिया के सामने क्या शर्तें रख रहे हैं, यह भी है. यह कोई संकीर्ण राजनीतिक बहस या ऐतिहासिक सांस्कृतिक बहस नहीं है. यह एक मानसिकता है. अगर हम वास्तव में अगले 25 वर्षों में 'अमृत काल' के लिए गंभीरता से तैयारी कर रहे हैं और 'विकसित भारत' की बात कर रहे हैं, तो यह तभी संभव हो सकता है जब आप 'आत्मनिर्भर भारत' बनें."
चीन के साथ संबंधों बारे में क्या कहा?
चीन के साथ संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “शुरुआत से ही नेहरू और सरदार पटेल के बीच चीन को कैसे जवाब दिया जाए इस मुद्दे पर तीव्र मतभेद रहा है. मोदी सरकार चीन से निपटने में सरदार पटेल द्वारा शुरू की गई यथार्थवाद की धारा के अनुरूप काम कर रही है. हमने ऐसे रिश्ते बनाने की कोशिश की है जो आपसी संबंधों पर आधारित हों. जब तक उस पारस्परिकता को मान्यता नहीं दी जाती, इस रिश्ते का आगे बढ़ना मुश्किल होगा.”
पाकिस्तान के मुद्दे पर यह कहा
पाकिस्तान मुद्दे पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, "पाकिस्तान लंबे समय से सीमा पार से आतंकवाद का इस्तेमाल भारत पर बातचीत के लिए दबाव बनाने के लिए कर रहा है. ऐसा नहीं है कि हम अपने पड़ोसी के साथ बातचीत नहीं करेंगे, परन्तु हम उन शर्तों के आधार पर बातचीत नहीं करेंगे जो उन्होंने (पाकिस्तान) रखी हैं, जिसमें बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद की प्रथा को वैध और प्रभावी माना जाता है."
भारत-कनाडा संबंध पर यह बोले
भारत-कनाडा संबंधों और खालिस्तानी मुद्दे पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी ताकतों को बहुत जगह दी गई है और उन्हें ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की छूट दी गई है जिससे संबंधों को नुकसान पहुंच रहा है. मुझे लगता है कि ये न भारत के हित में हैं और न कनाडा के हित में हैं."
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