ED ने जिस मामलें में जब्त की ₹752 करोड़ की संपत्ति, जानिए क्या है वो नेशनल हेराल्ड केस?

नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस के अलावा सुमन दुबे और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया था. इन आरोपियों में से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की साल 2020 और 2021 में मौत हो चुकी है.

विज्ञापन
Read Time: 18 mins

National Herald case Update : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नेशनल हेराल्ड मामले (National Herald case) में 752 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. ईडी (ED) द्वारा दिल्ली, मुंबई और लखनऊ समेत देश के कई ठिकानों पर कार्रवाई की गई है. केंद्रीय एजेंसी द्वारा जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है, उसमें दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग, लखनऊ का नेहरु भवन (Nehru Bhawan) और मुंबई का हेराल्ड हाउस (Herald House) शामिल है.

पिछले साल हो चुकी है सोनिया-राहुल से पूछताछ

नेशनल हेराल्ड मनी लांड्रिंग केस (National Herald Money Laundering Case) को लेकर कांग्रेस के कई नेताओं से पूछताछ की जा चुकी है, पिछले साल ईडी ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से इस संबंध में कई दिनों तक घंटों पूछताछ की थी, वहीं राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से भी इस मामले में सवाल-जवाब किए थे.

इस मामले में कांग्रेस की तरफ से बार-बार यह कहा जा रहा है कि नेशनल हेराल्ड को लेकर  कोई अनियमितता या पैसों का लेनदेन नहीं हुआ है. 

आइए अब जानते हैं आखिर नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

नेशनल हेराल्ड एक अखबार का नाम है, जो आजादी के पहले से प्रकाशित होता रहा है. यह पूरा केस इसी से जुड़ा हुआ है. इस अखबार की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरु ने की थी. एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) द्वारा इस समाचार पत्र का प्रकाशन किया जाता था. 

Advertisement
एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड द्वारा इस समाचार पत्र को तीन भाषाओं अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन (Navjeevan), वहीं उर्दू भाषा में इसे कौमी आवाज (Kaumi Aawaz) के नाम से प्रकाशित किया जाता था. ये कंपनी अखबार प्रकाशित करती थी, इसलिए इसको कई शहरों में सस्ती कीमतों पर सरकारों से जमीनें मिली थीं. 

आजादी के मिलने के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को गैर-व्यवसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया. इसके साथ ही कंपनी एक्ट की धारा 25 में इसको टैक्स फ्री भी कर दिया गया. 

घाटा बढ़ता गया, संगठन बंद और 2010 में शुरु हुआ ‘यंग इंडियन'

समय बीतता गया और धीरे-धीरे अखबार घाटे पर चला गया. साल 2008 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड के सभी प्रकाशनों को बंद कर दिया गया. इस दौरान कंपनी पर 90 करोड़ रुपए का कर्ज भी चढ़ गया. इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व ने 2010 में यंग इंडियन (Young Indian) नाम की एक नई नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी बनाई जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.

Advertisement
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 फीसदी शेयर थे, जबकि बचे हुए 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे. 

आरोप की शुरुआत कैसे हुई?

2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर करते हुए कांग्रेस के नेताओं पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था. कांग्रेस के बड़े नेता सोनिया और राहुल गांधी पर आरोप है कि वे ‘यंग इंडियन' के जरिए एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को खरीदकर उसकी 2 हज़ार करोड़ रुपये की संपत्ति को अपने नाम पर करना चाहते थे. आरोप हैं कि 50 लाख रुपये चुकाकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी 2 हजार करोड़ रुपये की संपति के मालिक बन गये.

प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड के 90 करोड़ रुपए के लोन को यंग इंडियन पर ट्रांसफर कर दिए थे. लोन चुकाने के बदले एजेएल ने यंग इंडियन को 9 करोड़ शेयर दिए. इन 9 करोड़ शेयरों के साथ यंग इंडियन को एजेएल के 99% शेयर हासिल हो गए. इसके बाद कांग्रेस ने एजेएल का 90 करोड़ का ऋण माफ कर दिया. सुब्रमण्यम स्वामी ने इसी पर सवाल उठाते हुए केस फाइल किया था.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के माध्यम से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का अधिग्रहण किया है. उन्होंने याचिका में कहा था कि यंग इंडियन ने 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला है, जो नियमों के खिलाफ है.
 

Advertisement
नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडिस के अलावा सुमन दुबे और सैम पित्रोदा को आरोपी बनाया गया था. इन आरोपियों में से मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडिस की साल 2020 और 2021 में मौत हो चुकी है.

2014 में प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की थी. कोर्ट ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के सभी निदेशकों को 7 अगस्त 2014 को अपने सामने पेश होने का निर्देश दिया. 18 सितंबर 2015 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल हेराल्ड केस को जांच के लिए फिर से खोल दिया था. सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस और सुमन दुबे 9 दिसंबर 2015 को पटियाला हाउस कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश हुए. हालांकि फिर उन्हें जमानत मिल गई थी.

अब ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले की जांच के सिलसिले में यंग इंडियन, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी से जुड़ी कंपनी की 90 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की है.

यह भी पढ़ें : National Herald Case: ED ने फिर की बड़ी कार्रवाई, अटैच की यंग इंडियन की 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति