Shibu Soren Passed Away: शिबू सोरेन का निधन, हेमंत सोरेन ने दी जानकारी, कहा- 'आज मैं शून्य हो गया हूं...'

Shibu Soren Passed Away: पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े और उन्होंने महाजनी आंदोलन शुरू किया. इसके बाद साल 1977 में उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी.

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Shibu Soren Passed Away: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन (Shibu Soren Passed Away) नहीं रहे. लंबी बीमारी के बाद उन्होंने 81 साल की उम्र में सोमवार को अंतिम सांस ली. वो पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल (Sir Ganga Ram Hospital) में भर्ती हैं. उन्हें जून के आखिरी हफ्ते में किडनी संबंधी समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पिता ने निधन की जानकारी सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर दी. 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा, 'आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं. आज मैं शून्य हो गया हूं...'

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पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन आंदोलन में कूद पड़े

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी, 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था. शिबू सोरेन के पिता का नाम सोबरन मांझी था. जब सोरेन का जन्म हुआ था तो उस वक्त पिता सोबरन मांझी समाज में शिक्षा की अलख जगा रहे थे. झारखंड में महाजनी प्रथा चरम पर थी. 1955-57 के बीच सोबरन मांझी इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे, लेकिन 1957 में महाजनों के इशारे पर उनकी हत्या कर दी गई.

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ऐसे बने दिशोम गुरु

पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े और उन्होंने महाजनी आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन को 'धनकटी आंदोलन' कहा गया. इस आंदोलन में महिलाएं हाथों में दरांती और पुरुष हाथों में धनुष-बाण लेकर रहा करते थे और जमींदारों के खेतों से महिलाएं फसल काटकर ले जाती थीं. इस आंदोलन ने शिबू सोरेन को आदिवासियों का नेता बना दिया और बाद में आदिवासी उन्हें दिशोम गुरु कहने लगे.

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यही आंदोलन 1972 को झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी झामुमो के उदय का कारण बना. दरअसल, 4 फरवरी 1972 को शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और कॉमरेड एके राय ने झारखंड मुक्ति मोर्चा नाम के एक राजनीतिक दल का गठन करने का फैसला लिया. विनोद बिहारी महतो को झामुमो का अध्यक्ष और शिबू सोरेन को महासचिव बनाया गया.

झारखंड राज्य के गठन में शिबू सोरेन अहम योगदान

झारखंड को अलग राज्य बनाने में शिबू सोरेन की अहम भूमिका रही. दरअसल, झारखंड को अलग राज्य बनाने की मांग पहले से की जा रही थी, लेकिन झामुमो के गठन के बाद ये और जोर पकड़ लिया. हालांकि शिबू सोरेन की मेहनत रंग लाई और 15 नवंबर, 2000 को अलग राज्य झारखंड का गठन हुआ.

ऐसा था शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर

शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1977 में की थी, जब उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 1980 में उन्होंने दूसरी बार चुनाव लड़ा और उन्हें सफलता भी मिली. इसके बाद वो 1989, 1991, 1996, 2004, 2009 और 2014 में सांसद चुने गए.

2002 में शिबू सोरेन थोड़े समय के लिए राज्यसभा के सदस्य भी रहे. वहीं 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में वो कोयला मंत्री रहे. झारखंड राज्य बनने के बाद शिबू सोरेन झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री बने और 2 मार्च 2005 को उन्होंने पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला, लेकिन वो बहुमत साबित करने में नाकाम रहे और महज  10 दिनों के भीतर ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. इसके बाद शिबू 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार भी उनका कार्यकाल 4 महीने 22 दिनों तक चला. दरअसल, वो मुख्यमंत्री बनने के वक्त विधायक नहीं थे. उन्होंने तमाड़ सीट से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी.

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