Konta Election Results 2023: कोंटा (छत्तीसगढ़) विधानसभा क्षेत्र को जानें

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कोंटा विधानसभा क्षेत्र में कुल मिलाकर 164765 मतदाता थे, जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी कवासी लखमा को 31933 वोट देकर जिताया था. उधर, बीजेपी उम्मीदवार धनीराम बारसे को 25224 वोट हासिल हो सके थे, और वह 6709 वोटों से हार गए थे.

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छत्तीसगढ़ राज्य में दो चरणों में 7 तथा 17 नवंबर को मतदान करवाया जाएगा, और मतगणना, यानी चुनाव परिणाम (Election Results) 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Assembly Elections 2023) राज्य में दक्षिण क्षेत्र के सुकमा जिले में कोंटा विधानसभा क्षेत्र है, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. पिछले विधानसभा चुनाव, यानी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल मिलाकर 164765 मतदाता थे, जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी कवासी लखमा को 31933 वोट देकर जिताया था. उधर, बीजेपी उम्मीदवार धनीराम बारसे को 25224 वोट हासिल हो सके थे, और वह 6709 वोटों से हार गए थे.

इसी तरह वर्ष 2013 में कोंटा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा को जीत हासिल हुई थी, और उन्होंने 27610 वोट हासिल किए थे. इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार धनीराम बारसे को 21824 वोट मिल सके थे, और वह 5786 वोटों के अंतर से दूसरे स्थान पर रहे थे.

इससे पहले, कोंटा विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी कवासी लखमा ने कुल 21630 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी, और बीजेपी उम्मीदवार पदम नंदा दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 21438 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था, और वह 192 वोटों के अंतर से विधानसभा चुनाव हार गए थे.

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गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव, यानी विधानसभा चुनाव 2018 में छत्तीसगढ़ में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, और पार्टी ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया था. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमन सिंह का 15 साल तक चला कार्यकाल खत्म हो गया था. BJP इस चुनाव में महज़ 15 सीटें ही अपनी झोली में डाल पाई थी. 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता में कैसे बदलाव हुआ था, इसे समझने के लिए 2013 के चुनाव परिणाम पर भी निगाह डालनी होगी. तब BJP को 49 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 41 सीटें, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर महज़ 1 फीसदी से भी कम था. अब भूपेश सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, तो BJP एन्टी-इन्कम्बेन्सी के सहारे फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी है.

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