भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य एल-1 कुछ ही देर में भरेगा उड़ान , सामने आएंगे सूरज के रहस्य

इसरो का कहना है कि सूर्य पृथ्वी के सबसे पास वाला तारा है. इसीलिए दूसरे प्लेनेट की तुलना में इसका अध्ययन ज्यादा विस्तार के किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सूर्य के अध्ययन से आकाशगंगा के दूसरे तारों के बारे में जानना और भी आसान हो जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 16 mins

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब सूर्य पर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. भारत के साथ ही दुनियाभर की निगाहें इसरो के मिशन आदित्य एल-1 पर जमी हुई हैं. आदित्य एल-1 शनिवार, यानी कि आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर सूर्य की तरफ उड़ान भरेगा.  आदित्य एल-1 लॉन्चिंग के लिए पूरी तरह से तैयार है.

'आदित्य एल-1' सूर्य की ओर जाने को तैयार

इसरो के मुताबिक इसकी उल्टी गिनती शुक्रवार  दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से ही शुरू हो गई थी. चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग से उत्साहित भारत अब सूर्य की तरफ जाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.  भारत का पहला सौर मिशन आदित्य एल-1 की सूर्य की तरफ जाने का सफर पूरे 125 दिन का होगा. अब सभी देशवासियों को इसके लॉन्च होने का इंतजार है.

Advertisement

ये भी पढ़ें- भारत का पहला सोलर मिशन आदित्‍य एल-1 आज भरेगा सूर्य की ओर उड़ान, जानें इस मिशन से जुड़ी प्रमुख बातें

Advertisement

सौर मिशन में क्यों खास है PSLV-XL रॉकेट

बता दें कि सूर्य ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत है. आदित्य एल-1 सूरज के पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर का पता लगाएगा. यह धरती से करीब 15 लाख किमी दूर सूरज-पृथ्वी प्राणाली से लैग्रेंज पॉइंट के पास वाली कक्षा से सूरज का अध्ययन करेगा. सूर्य की गतिविधि को समझने के लिए इसरो जिस आदित्य एल-1 मिशन को लॉन्च कर रहा है, उसमें PSLV-XL रॉकेट की भूमिका अहम है. पीएसएलवी की यह 59वीं उड़ान है. यही वह रॉकेट है जो आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में ड्रॉप करेगा. इस मिशन को सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पेड-2 से लॉन्च किया जाएगा.

Advertisement

आदित्य एल-1 का L-1 तक का सफर 125 दिन का

इसरो का सौर मिशन आदित्य एल-1 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरेगा.  रॉकेट इसको धरती की निचली कक्षा तक लेकर जाएगा. इसे धरती से 15 लाख किमी दूर  एल-1 तक पहुंचने में पूरे 125 दिन लगेंगे. आदित्य एल-1 का प्रक्षेपण PSLV C-57 रॉकेट के जरिए होगा.  इस मिशन के बारे में इसरो का कहना है कि सूर्य पृथ्वी के सबसे पास वाला तारा है. इसीलिए दूसरे प्लेनेट की तुलना में इसका अध्ययन ज्यादा विस्तार से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सूर्य के अध्ययन से आकाशगंगा के दूसरे तारों के बारे में जानना और भी आसान हो जाएगा.

आदित्य एल-1 के सफर पर एक नजर

शुरुआत में आदित्य एल-1 पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होगा. इसे ज्यादा दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा.  बाद में इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करके सौर मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1' की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा.  आदित्य एल-1 जब L-1 की तरफ बढ़ेगा, तब यह पृथ्वी के ग्रेविटी एरिया से बाहर निकल जाएगा. इसके बाद इसका क्रूज चरण शुरू होगा. इसके बाद में आदित्य एल-1 को L-1 के चारों तरफ बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा. इसको एल-1 तक पहुंचने में करीब 4 महीने लगेंगे.

ये भी पढ़ें- अमित शाह पहुंचे रायपुर, कल कांग्रेस सरकार के खिलाफ जारी करेंगे आरोप पत्र

Topics mentioned in this article