GN Saibaba: माओवादी संबंध मामले में जीएन साईबाबा को किया गया बरी, उम्रकैद की सजा हुई रद्द

GN Saibaba Case: दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे जीएन साईबाबा को मार्च 2017 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली सत्र अदालत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत उन्हें दोषी करार किया था.

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जीएन साईबाबा को किया गया बरी

Maoist Case: बॉम्बे हाईकोर्ट (Mumbai High Court) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा (GN Saibaba) को बरी कर दिया. माओवादी से जुड़ें मामले (Maoist Case) में उन्हें उम्रकैद की सजा हुई थी, जिसे हाई कोर्ट ने मंगलवार को रद्द कर दिया. फिलहाल, साईबाबा नागपुर सेंट्रल जेल (Nagpur Central Jail) में अपनी उम्रकैद की सजा काट हैं. साल 2013 में महाराष्ट्र में गढ़चिरौली जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में निगरानी के बाद आरोपी महेश तिर्की, पी. नरोटे और हेम मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था. 

पहले ही कर दिया गया था बरी

दरअसल, हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर 2022 को ही प्रोफेसर साईबाबा को माओवादी से जुड़े मामले में बरी कर दिया था. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया था और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए दोबारा हाईकोर्ट में भेजा था.

2014 में इस मामले में हुई थी गिरफ्तारी

2013 में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में निगरानी के बाद आरोपी महेश तिर्की, पी. नरोटे और हेम मिश्रा को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद, 2 सितंबर 2013 को दो और आरोपियों, विजय तिर्की और प्रशांत सांगलीकर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 4 सितंबर 2013 को पूछताछ और मजिस्ट्रेट अदालत से वारंट मिलने के बाद 9 सितंबर 2023 को पुलिस ने दिल्ली में साईबाबा के आवास की तलाशी ली थी.

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यूएपीए के तहत हुए थे दोषी करार

मई 2014 में साईबाबा को गिरफ्तार करके अदालत में पेश किया गया था. केस के तीन साल बाद, 3 मार्च 2017 को गढ़चिरौली की सत्र अदालत ने जीएन साईबाबा और पांच अन्य लोगों को यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत दोषी ठहराया था. इसके बाद उन्हें और चार अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी.

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