India Census: जनगणना के 153 सालों के इतिहास में यह पहली बार होगा कि भारत में जनगणना करीब 14 सालों के अंतराल पर शुरू होगी. प्रत्येक दशक में होने वाली कोविड महामारी के चलते 2021 में जनगणना नहीं हो सकी, क्योंकि सबकुछ ठप पड़ गया था, लेकिन अब जनगणना को लेकर नई तारीखा आ गई है, जो अब 2025 में होगी.
जनगणना साल ही नहीं, जनगणना चक्र भी बदलेगा, अगली बार 2035 में होगी
गौरतलब है प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अब अगली बार 2035 में होगी, जबकि पिछले 153 सालों का इतिहास देखेंगे तो पाएंगे कि जनगणना सामान्यतया दस साल में होती आई थी. आजादी से पहले भारत में पहली जनगणना 1872 में करवाई गई थी, जिसके बाद दूसरी जनगणना 1881 में करवाई गई.
2025 जनगणना में लोगों से पूछा जा सकता है वे किस संप्रदाय के अनुयायी हैं
साल 2025 से शुरू होने वाले जनगणना से शुरू होने वाले जनगणना में कई विपक्षी दलों की तरफ से जातिगत जनगणना की मांग भी हो रही है, लेकिन सरकार ने अभी इस बारे में अभी फैसला नहीं किया है. जनगणना में धर्म और वर्ग पूछा जाता है. सामान्य, अनुसूचित जाति और जनजाति की गणना होती है. इस बार लोगों से यह भी पूछा जा सकता है कि वे किस संप्रदाय के अनुयायी हैं.
कर्नाटक में सामान्य वर्ग वाले लिंगायत खुद को अलग संप्रदाय के मानते हैं
गौरतलब है कर्नाटक में सामान्य वर्ग में आने वाले लिंगायत स्वयं को अलग संप्रदाय के मानते हैं. इसी तरह अनुसूचित जाति में वाल्मीकि, रविदासी, जैसे अलग-अलग संप्रदाय हैं यानी धर्म, वर्ग के साथ संप्रदाय के आधार पर भी जनगणना की मांग पर सरकार विचार कर रहीं हैं.
पिछले 153 सालों में प्रत्येक 10 वर्ष पर करवाई जाती रही है जनगणना
भारत में पहली जनगणना 1872 में गवर्नर-जनरल लॉर्ड मेयो के शासन काल के दौरान आयोजित की गई थी. 1881 में भारत की पहली संपूर्ण जनगणना 1881 आयुक्त डब्ल्यू.सी. प्लोडेन ने कराई गई थी. इसके बाद हर 10 साल में जनगणना होती रही. स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना 1951 में की गई थी और अब तक कुल छह बार जनगणना हो चुकी है.
ये भी पढ़ें-मुश्किल में मिस इंडिया निकिता पोरवाल, ताज पहनकर महाकाल मंदिर जाने पर पुजारी ने उठाई उंगली