Basna Election Results 2023: बासना (छत्तीसगढ़) विधानसभा क्षेत्र को जानें

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बासना विधानसभा क्षेत्र में कुल मिलाकर 204420 मतदाता थे, जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी देवेंद्र बहादुर सिंह को 67535 वोट देकर जिताया था. उधर, निर्दलीय उम्मीदवार संपत अग्रवाल को 50027 वोट हासिल हो सके थे, और वह 17508 वोटों से हार गए थे.

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छत्तीसगढ़ राज्य में दो चरणों में 7 तथा 17 नवंबर को मतदान करवाया जाएगा, और मतगणना, यानी चुनाव परिणाम (Election Results) 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Assembly Elections 2023) राज्य में मध्य क्षेत्र के महासमुंद जिले में बासना विधानसभा क्षेत्र है, जो अनारक्षित है. पिछले विधानसभा चुनाव, यानी वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल मिलाकर 204420 मतदाता थे, जिन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी देवेंद्र बहादुर सिंह को 67535 वोट देकर जिताया था. उधर, निर्दलीय उम्मीदवार संपत अग्रवाल को 50027 वोट हासिल हो सके थे, और वह 17508 वोटों से हार गए थे.

इसी तरह वर्ष 2013 में बासना विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी रूपकुमारी चौधरी को जीत हासिल हुई थी, और उन्होंने 77137 वोट हासिल किए थे. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार देवेंद्र बहादुर सिंह को 70898 वोट मिल सके थे, और वह 6239 वोटों के अंतर से दूसरे स्थान पर रहे थे.

इससे पहले, बासना विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी देवेंद्र बहादुर सिंह ने कुल 52145 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी, और बीजेपी उम्मीदवार प्रेमशंकर पटेल दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 36238 मतदाताओं का समर्थन हासिल हो सका था, और वह 15907 वोटों के अंतर से विधानसभा चुनाव हार गए थे.

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गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव, यानी विधानसभा चुनाव 2018 में छत्तीसगढ़ में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, और पार्टी ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया था. इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के रमन सिंह का 15 साल तक चला कार्यकाल खत्म हो गया था. BJP इस चुनाव में महज़ 15 सीटें ही अपनी झोली में डाल पाई थी. 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता में कैसे बदलाव हुआ था, इसे समझने के लिए 2013 के चुनाव परिणाम पर भी निगाह डालनी होगी. तब BJP को 49 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस को 41 सीटें, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर महज़ 1 फीसदी से भी कम था. अब भूपेश सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, तो BJP एन्टी-इन्कम्बेन्सी के सहारे फिर सत्ता पाने की जुगत में लगी है.

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