101वीं जयंती पर पढ़ें अटल जी के कम सुने किस्से... पिता के साथ एक ही कॉलेज में पढ़ाई, जब पाकिस्तानी पत्रकार...

Atal Bihari Vapayee: अटल बिहारी वाजपेयी जी इकलौते नेता हैं जिन्हें चार अलग-अलग राज्यों (उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली) से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचने का गौरव हासिल है. एक प्रधानमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल इतना गौरवशाली रहा कि एक दशक के बाद भी उस कार्यकाल को न सिर्फ याद किया जाता है, बल्कि उस पर अमल भी किया जाता है.

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Atal Bihari Vajpayee Jayanti: देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 25 दिसंबर को 101वीं जयंती है. उन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री का पद संभाला. अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता, पत्रकार और कवि के रूप जाने जाते हैं. वर्ष 2015 में उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था. पोखरण परमाणु का सफल परीक्षण भी उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था. वह ऐसे नेता थे कि जब भी वह संसद में बोलते थे तो सत्ता पक्ष के साथ पूरा विपक्ष भी सुनता था. उन्हें हाजिर जवाबी के लिए भी जाना जाता था.  101वीं जयंती के अवसर पर आइए आपको बताते हैं उनके कुछ कम सुने किस्से...

पिता के साथ कॉलेज की एक ही कक्षा में पढ़े

उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज में अपने पिता के साथ ही लॉ की पढ़ाई की और एक ही हॉस्टल में रहे, जो उनके पिता-पुत्र के रिश्ते को दर्शाता है. अटल जी के पिता पंडित कृष्ण बिहारीलाल वाजपेयी 50 वर्ष से अधिक आयु के थे, जब वे कानपुर के डीएवी कॉलेज में अटल बिहारी वाजपेयी के सहपाठी बने. उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, उनके पुराने कॉलेज ने 2002-03 में कॉलेज पत्रिका में उनका एक लेख प्रकाशित किया, जिससे उन दोनों के बारे में और अधिक जानकारी मिलती है. उसमें अटल बिहारी वाजपेयी ने लिखा, "क्या आपने कभी किसी ऐसे कॉलेज के बारे में देखा या सुना है, जहां पिता और पुत्र दोनों ने एक साथ पढ़ाई की हो, और वह भी एक ही कक्षा में?"

नरसिम्हा राव को 'परमाणु परीक्षण का जनक' मानना

1998 में पोखरण-2 परमाणु परीक्षण की सफलता के बाद, अटल जी ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को इसका श्रेय दिया था. उन्होंने बताया कि राव ने 1995 में ही सारी तैयारी कर ली थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण विस्फोट नहीं कर सके थे. शपथ ग्रहण के तुरंत बाद राव ने अटल जी से मिलकर यह महत्वपूर्ण मिशन उन्हें सौंपा था.

बता दें कि मई, 2018 में पोखरण में दोपहर को पांच परमाणु विस्फोट हुए थे. इसने पाकिस्तान अमेरिका समेत पूरी दुनिया को चौंका दिया था. उस दौरान अमेरिका की ओर परमाणु परीक्षण न करने का दबाव था और कई देशों की खुफिया एजेंसियां भी नजर रख रही थीं, लेकिन परमाणु धमाके होने तक किसी को भनक तक नहीं लगी थी.

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जब पाकिस्तानी पत्रकार को दिया दो टूक जवाब

अटल जी अपनी हाजिरजवाबी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे. एक बार एक पाकिस्तानी महिला पत्रकार ने उनसे कहा, "मैं आपसे शादी करने को तैयार हूं, लेकिन मुझे मुंह दिखाई में कश्मीर चाहिए." अटल जी ने मुस्कराते हुए तुरंत जवाब दिया, "मैं भी शादी के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए." इस जवाब ने न सिर्फ उस पत्रकार बल्कि पूरे पाकिस्तान को खामोश कर दिया था.

अमेठी में राव के लिए प्रचार

1996 के चुनाव में अमेठी में अपनी जनसभा के दौरान अटल जी ने जनता से कहा था कि अगले दिन नरसिम्हा राव यहां आ रहे हैं, "वे बहुत विद्वान व्यक्ति हैं, उन्हें सुनने जरूर जाना, कुछ न कुछ सीखने को मिलेगा". विपक्षी नेता के प्रति ऐसा सम्मान राजनीति में दुर्लभ था.

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जब जेल में बनाया 'अटल' खाना

आपातकाल (Emergency) के दौरान जब अटल जी बेंगलुरु की जेल में थे तो वहां वे खुद खाना बनाया करते थे. उनके साथ जेल में रहे साथी बताते हैं कि वे बहुत ही लाजवाब 'आलू-गोभी की सब्जी' और 'खिचड़ी' बनाते थे. वे अक्सर कहते थे कि राजनीति ने उन्हें भले ही व्यस्त रखा हो, लेकिन उनकी असली प्रतिभा रसोई और कलम में बसती है.

पकौड़ों का शौक

अटल जी को खाने-पीने का बहुत शौक था. उनके पुराने दोस्त बताते हैं कि उन्हें पुरानी दिल्ली के पकौड़े और चाट बेहद पसंद थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनकी यह सादगी नहीं बदली. कई बार वे प्रोटोकॉल तोड़कर अपने पसंदीदा ठिकानों पर पहुंच जाते थे. कहा जाता है कि वे अपनी कविताओं के बीच अक्सर ठंडाई का आनंद लेते थे.

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नेहरू की तस्वीर पर हाजिरजवाबी

संसद में जवाहरलाल नेहरू से बहस के दौरान उन्होंने कहा था, "पंडित जी शीर्षासन करते हैं, मुझे आपत्ति नहीं, पर मेरी पार्टी की तस्वीर उल्टी न देखें," जिस पर नेहरू भी हंस पड़े थे.

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मराठी भाषा पर पकड़ 

बहुत कम लोग जानते हैं कि ग्वालियर में पले-बढ़े होने के कारण अटल जी मराठी भाषा भी धाराप्रवाह बोल लेते थे

ग्वालियर में हुआ था जन्म

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कृष्ण बिहारी वाजपेयी और श्रीमती कृष्णा देवी के घर हुआ था. वे देश के प्रधानमंत्री 16 मार्च 1996 से 31 मई 1996 तक और फिर 19 मार्च 1998 से 13 मई 2004 तक रहे. वह 12 बार सांसद रहे. 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे थे. उन्होंने 1980 में जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) बनाई, जिसे बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और अध्यक्ष भी बने थे.