PMFBY: शिवराज सिंह ने किसानों को दी बड़ी खुशखबरी, अब फसल बीमा में ये नुकसान भी शामिल; सरकार करेगी भरपाई

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान और धान जलभराव को कवर करने के लिए नई प्रक्रियाओं को औपचारिक रूप से मान्यता दे दी है.

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत किसानों को बड़ी सौगात देने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीएम मोदी का आभार जताया है. साथ ही उन्होंने किसानों से फसल बीमा कराने के लिए अपील की है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने PMFBY की नई प्रक्रिया के तहत फसल को जंगली जानवरों और अधिक बारिश या जलभराव की वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई भी सरकार करेगी.

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को बधाई दी है. उन्होंने कहा, अब मैं आपको प्रसन्नता के साथ यह सूचना दे रहा हूं कि ये दोनों नुकसान भी फसल बीमा योजना में कवर कर लिए गए हैं. अगर जंगली जानवर फसलों का नुकसान करते हैं तो भी नुकसान की भरपाई होगी और जलभराव के कारण भी अगर फसल खराब होती है तो भी नुकसान की भरपाई होगी.

नुकसान की सूचना 72 घंटे के अंदर देनी होगी

संशोधित प्रावधानों के अनुसार, जंगली जानवरों द्वारा फसल नुकसान को स्थानीयकृत जोखिम श्रेणी के 5वें ‘ऐड-ऑन कवर' के रूप में मान्यता दी गई है. राज्य सरकारें जंगली जानवरों की सूची अधिसूचित करेंगी और ऐतिहासिक आंकड़ों के आधार पर अत्यधिक प्रभावित जिलों/बीमा इकाइयों की पहचान करेंगी. किसान को फसल नुकसान की सूचना 72 घंटे के भीतर फसल बीमा ऐप पर जियो-टैग्ड फोटो के साथ दर्ज करनी होगी.

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यह निर्णय विभिन्न राज्यों की लंबे समय से चली आ रही मांगों के अनुरूप है और किसानों को अचानक, स्थानीयकृत और गंभीर फसल क्षति से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. ये प्रक्रियाएं PMFBY परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार वैज्ञानिक, पारदर्शी और व्यवहारिक बनाई गई हैं, और खरीफ 2026 से पूरे देश में लागू की जाएंगी.

जंगली जानवर खा जाते पूरी फसल

देशभर में किसान लंबे समय से हाथी, जंगली सूअर, नीलगाय, हिरण और बंदरों जैसे जंगली जानवरों के हमलों के कारण बढ़ते फसल नुकसान का सामना कर रहे हैं. यह समस्या मुख्यतः वन क्षेत्रों, वन गलियारों और पहाड़ी इलाकों के निकट बसे किसानों में अधिक देखी जाती है. अब तक ऐसे नुकसान फसल बीमा योजना के दायरे में नहीं आते थे, जिसके कारण किसानों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ती थी.

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दूसरी ओर, तटीय एवं बाढ़ संभावित क्षेत्रों में धान की खेती करने वाले किसानों को वर्षा और नदी-नालों के उफान से होने वाले जलभराव के कारण समान रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ता रहा है. वर्ष 2018 में इस जोखिम को स्थानीयकृत आपदा श्रेणी से हटाए जाने से किसानों के लिए एक बड़ा संरक्षण अंतर उत्पन्न हो गया था.

इस फैसले के साथ अब स्थानीय स्तर पर फसल नुकसान झेलने वाले किसानों को PMFBY के तहत समयबद्ध और तकनीक-आधारित दावा निपटान का लाभ मिलेगा.

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इन इलाकों में ज्यादा परेशान थे किसान

इस प्रावधान का सबसे अधिक लाभ ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड तथा हिमालयी और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के किसानों को होगा, जहां जंगली जानवरों द्वारा फसल क्षति एक प्रमुख चुनौती है.

धान जलभराव से परेशान किसानों को मिलेगा लाभ

धान जलभराव को स्थानीयकृत आपदा श्रेणी में फिर से शामिल किए जाने से तटीय और बाढ़ संभावित राज्यों जैसे ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तराखंड  के किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा, जहां जलभराव से धान की फसल का नुकसान हर वर्ष दोहराया जाता है.

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