'आरंभ है प्रचंड' फिल्म 'गुलाल' का ये गाना आज हर किसी के जहन में बसता है. इस गाने को अपनी आवाज दी है मध्य प्रदेश के विरासतों वाले शहर ग्वालियर के पीयूष मिश्रा ने...पीयूष मिश्रा इंडस्ट्री के उन स्टार्स में आते हैं, जो मल्टी टैलेंटड हैं और कड़ी मेहनत के दम पर अपनी अलग पहचान और जगह बनाई. पीयूष मिश्रा कभी टीचर हुआ करते थे लेकिन बाद में उन्होंने एक्टिंग की राह पकड़ी और आज सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं. ज़िंदगी को को लेकर पीयूष मिश्रा की फिलोसॉफी के यकीनन आप भी कायल होंगे, पर आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कभी खुद पीयूष मिश्रा शराब की बुरी लत के चलते अपनी जिंदगी खराब करने की राह पकड़ चुके थे.
प्रियकांत शर्मा से पीयूष मिश्रा तक का सफर
पीयूष मिश्रा के पिता प्रताप कुमार शर्मा की ग्वालियर में अच्छी पहचान थी. बेटे के जन्म पर उन्होंने उसका नाम प्रियकांत शर्मा रखा. पीयूष मिश्रा के परिवार की आर्थिक हालत पहले बहुत खराब थी. उनका बचपन और जवानी दोनों ही तंगी में गुजरा है. बाद में प्रियकांत को उनकी बड़ी बुआ तारादेवी मिश्रा ने गोद ले लिया. ग्वालियर के ही कार्मेल कान्वेंट स्कूल से ही उनकी पढाई हुई. जब प्रियकांत शर्मा 10वीं क्लास में पहुंचे तो जिला कोर्ट में एफिडेविट देकर खुद का नाम बदल लिया और अपनी पसंद का नाम पीयूष मिश्रा रख लिया. उन्हें बचपन से ही एक्टिंग और पेंटिंग का शौक था. इसी शौक ने उन्हें एक दिन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा तक पहुंचा दिया.
फिल्मी दुनिया तक आसान नहीं थी राह
पीयूष मिश्रा की फिल्मी दुनिया तक की राह आसान तो बिल्कुल ही नहीं थी. अपनी किताबों में उन्होंने इसका जिक्र भी किया है. 1986 की बात है, जब पीयूष नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पास आउट कर दिल्ली में ही थियेटर का हिस्सा बन गए. उन्होंने कई लोकप्रिय थियेटर और स्टेज शोज किए. बाद में उनकी शादी शादी प्रिया नारायण से हो गई. अपने फिल्मी संघर्ष के दौरान पीयूष मिश्रा को शराब की लत लग गई थी. उनकी इस बुरी आदत के चलते उनकी पत्नी प्रिया भी काफी परेशान रहने लगी थीं. तभी तिग्मांशु धूलिया की फिल्म दिल से में पीयूष मिश्रा को काम मिला. आदत कम तो हो गई लेकिन इसे पूरी तरह छुड़ाने के लिए प्रिया ने उन्हें एक संस्था में भेज दिया.
जब लौटे तो खरा सोना बनकर लौटे पीयूष मिश्रा
फिल्म इंडस्ट्री से सबसे जबरदस्त एक्टर्स में से एक पीयूष मिश्रा की एंट्री हिंदी सिनेमा में पहली बार साल 1998 में हुआ. फिल्म 'दिल से' में उन्होंने सीबीआई ऑफिसर का रोल निभाया. इसके बाद कुछ फिल्मों के डायलॉग भी उन्होंने लिखे लेकिन वो पहचान नहीं मिल पाई, जिसके पीछे भागते-भागते वे यहां तक पहुंचे थे. पीयूष को पहली बार तब सबसे ज्यादा पसंद किया गया, जब उन्होंने विशाल भारद्वाज की फिल्म 'मकबूल' में काका की भूमिका निभाई. इसके बाद तो 'गुलाल', 'गैंग ऑफ वासेपुर', 'एक दिन 24 घंटे', 'दीवार', 'झूम बराबर झूम', 'तेरे बिन लादेन', 'लफंगे परिंदे' ,'लाहोर' ,'भिन्डी बाजार', 'रॉकस्टार', 'तमाशा', 'हैप्पी भाग जाएगी', 'हैप्पी फिर भाग जाएगी','पिंक' और संजू जैसी फिल्मों में उनकी एक्टिंग को खूब तारीफें मिली और पीयूष ने इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बना ली.
कभी पीयूष मिश्रा को लग गई थी शराब की लत, फिर तपकर बन गए खरा सोना
पीयूष मिश्रा इंडस्ट्री के उन स्टार्स में आते हैं, जो मल्टी टैलेंटड हैं और कड़ी मेहनत के दम पर अपनी अलग पहचान और जगह बनाई. पीयूष मिश्रा कभी टीचर हुआ करते थे लेकिन बाद में उन्होंने एक्टिंग की राह पकड़ी और आज सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं.
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आर्थिक तंगी और संघर्ष से परेशान हो कर कभी पीयूष मिश्रा को लग गई थी शराब की बुरी लत
नई दिल्ली:
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