हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार का आज (4 अगस्त) 97वां जन्मदिन है. जन्मदिन पर उनके चाहने वाले उन्हें अलग-अलग तरह से याद कर रहे है. हम भी उन्हीं यादों से आपके लिए लाए हैं किस्सा किशोर दा का...
जिसने जिंदगी को अपने ढंग से जिया और सुरूर को अपना साथी बनाया, वही थे किशोर यानी हम सबके हरफनमौला कलाकार किशोर कुमार. जिनका असली नाम आभास कुमार गांगुली है. किशोर कुमार का जन्म मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में हुआ था. किशोर कुमार ने पढ़ाई तो की, लेकिन संगीत और शरारतें जिसकी आत्मा थीं, उन्हें अपनी जन्मभूमि से इतना प्यार था कि कई फिल्मों में भी उन्होंने अपने असली घर का पता बताया है.
पैर में आई थी चोट
फिल्म दुनिया के जानकार संजय ने बताया, कहते हैं एक बार छोटी उम्र में किशोर दा के पैर में बुरी तरह चोट आई थी. दर्द ने किशोर को 20 दिन तक रुलाया, उसी दर्द ने उनके गले में कमाल की खनक भर दी. रोने की घटना के बाद जो खनक किशोर दा के गले में आई मानो जैसे मां सरस्वती खुद उनके कंठ में समा गईं. बस फिर क्या था. किशोर दा ने "खंडवा छोड़, मुंबई की ओर रुख किया, जहां एक नई दुनिया इंतजार कर रही थी.
सहगल की नगमों को उल्टा गाते
किशोर कुमार ख्यात गायक सहगल की नगमों को उल्टा कर गाते थे. कहते हैं कि एक बार संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने स्टूडियो में सहगल की तरह गुनगुनाते किशोर को सुन लिया. यही उनका बड़ा ब्रेक था. उसके बाद किशोर दा की आवाज इस रूपहले पर्दे पर ऐसी छाई की कई फिल्मी सितारों को फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया.
किशोर दा ने चार शादियां की
किशोर दा ने अपने जीवन में चार शादियां की. पहली शादी रोमा देवी से हुई, दूसरी मशहूर अभिनेत्री मधुबाला और तीसरी योगिता बाली से की. योगिता बाली से जब रिश्ते बिगड़े तो दोनों के बीच तलाक हो गया और फिर योगिता बाली ने मिथुन दा से शादी रचा ली. लंबे अर्शे के बाद किशोर दा ने लीना चंद्रावकर के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. लीना ओर किशोर की उम्र में काफी अंतर था. अंत में लीना मान गईं और किशोर कुमार की दुल्हन बन गईं. लेकिन सबसे प्रसिद्ध रही मधुबाला के साथ उनकी प्रेम कहानी. कहते हैं कि मधुबाला के लिए किशोर ने अपना नाम तक बदल लिया था.
किशोर कुमार ने लगभग 81 फिल्मों में अभिनय, 18 का निर्देशन और 574 से अधिक गीत गाए. उनका अंदाज हमेशा अल्हड़ और जिंदादिल रहा, किशोर दा की दर्दभरी नगमें भी दिल चीर जाती हैं.
खंडवा में खाते थे दूध-जलेबी
जलेबी की दुकान चलाने वाले ने कहा, किशोर कुमार को जितना प्यार संगीत से था. उससे कहीं ज्यादा प्यार किशोर अपनी जन्मभूमि से करते थे. जब भी खंडवा आते तो खंडवा की गलियों में घूमा करते. इस अल्हड़ और मस्ती के बीच उन्हें सबसे ज्यादा पसंद थी दूध और जलेबी. वे अक्सर अपने दोस्त की दुकान पर जाकर दूध-जलेबी खाते और कहते कि दूध-जलेबी खाएंगे, खंडवा में ही बस जाएंगे.
खंडवा में ही हुए पंचतत्व में विलीन
किशोर कुमार के फैंस ने कहा, जिस दिन किशोर कुमार के बड़े भाई अशोक कुमार यानी दादा मन अपने जन्मदिन को सेलिब्रेट करने की तैयारी कर रहे थे. ठीक उसी दिन खबर आएगी किशोर कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक किशोर कुमार के पार्थिव शरीर को खंडवा लाया गया और खंडवा में ही उन्हें पंचतत्व में विलीन किया गया. आज भी खंडवा में उनकी समाधि मौजूद है, जहां किशोर कुमार के चाहने वाले पहुंचकर माथा टेकते हैं.
जिस तरह से किशोर कुमार ने खंडवा से प्यार किया. खंडवा वाले भी उनसे उतना ही प्रेम करते हैं. किशोर कुमार का जन्मदिन हो या पुण्यतिथि, खंडवा की हर गली हर नुक्कड़ पर गीत संगीत की महफिलें सजती हैं और लोग उनके गीतों पर झूमते-गाते हैं.
किशोर कुमार जिस घर में जन्मे, उस घर से उन्हें बेहद लगाव था. खंडवा के इस घर से ही उनकी अंतिम यात्रा भी निकल गई, लेकिन आज किशोर कुमार के उस बंगले की हालत बेहद खराब है. जर्जर होते इस घर को सहजने के लिए काफी कुछ प्रयास किए गए, लेकिन परिवार की जिद के आगे किशोर कुमार के दीवानों की एक न चाली. अब इस घर की हालत यह है कि यह कभी भी गिरकर जमीदोंज हो सकता है, जबकि होना तो यह चाहिए था कि जिस तरह पाकिस्तान में दिलीप कुमार और राज कपूर के घर को संजोया गया. इसी तरह से किशोर कुमार के घर को भी सहेजा जाता तो यह एक सांस्कृतिक विरासत सदियों तक किशोर के चाहने वालों के पास होती.