Film Kedarnath: फिल्म केदारनाथ (Kedarnath) को रिलीज हुए 7 साल हो गए हैं. एक ऐसी फिल्म जिसने अपनी प्रेमकहानी को 2013 उत्तराखंड की विनाशकारी बाढ़ की वास्तविक त्रासदी के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया. दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान की यह फिल्म न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से महत्वाकांक्षी थी, बल्कि भावनात्मक रूप से भी दर्शकों को बेहद छूने वाली रही. यही वह फिल्म थी जिसने सारा अली खान को बॉलीवुड में एक यादगार लॉन्च दिया और उनके नाम सर्वश्रेष्ठ डेब्यू (महिला) का फिल्मफेयर अवॉर्ड दर्ज हुआ.
समीक्षकों और दर्शकों
अभिषेक कपूर के निर्देशन में बनी केदारनाथ को समीक्षकों और दर्शकों दोनों का भरपूर प्यार मिला. फिल्म की सबसे मजबूत नींव थी इसका गहन और संवेदनशील लेखन, जिसे कनिका ढिल्लन ने रचा था. ढिल्लन की कहानी ने इस आपदा को सिर्फ एक विशाल प्राकृतिक घटना की तरह नहीं दिखाया, बल्कि इसे प्रेम के साथ जोड़कर एक भावपूर्ण कथा में बदल दिया. फिल्म की आत्मा मांडाकिनी 'मुख्कू' (एक पुजारी की बेटी) और मंसूर खान (एक मुस्लिम पिट्ठू) की प्रेमकहानी में बसती है. एक ऐसा अंतरधार्मिक रिश्ता जो समाज की जड़बद्ध मान्यताओं को चुनौती देता है. ढिल्लन ने इस प्रेम को उस विनाशकारी बाढ़ की पृष्ठभूमि में रखा, जहां प्रकृति की शक्ति इंसानी विभाजनों से कहीं बड़ी साबित होती है. उनका लेखन इस बात का उदाहरण है कि किस तरह एक प्राकृतिक आपदा के बीच भी इंसानी भावनाएं, विश्वास और त्याग की कथा चमक सकती है.
संतुलन बनाना आसान नहीं
फ्लैश फ्लड और महाकाव्यात्मक प्रेम, इन दोनों के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं था और यही संतुलन केदारनाथ की स्थायी खूबसूरती में बदल गया. फिल्म सिर्फ एक डिजास्टर ड्रामा नहीं बल्कि प्रेम, आस्था, वर्ग और इंसानी जज्बे पर गहरी टिप्पणी बनकर उभरी. जैसे-जैसे केदारनाथ अपने 7 साल पूरे कर रही है, इसकी प्रेम, भरोसे और असंभव सी लगने वाली चुनौतियों के बीच इंसानी जज्बे की खोज आज भी दर्शकों के दिलों में गूंजती है. यह फिल्म अपने कलाकारों के करियर में एक मील का पत्थर है और दर्शकों की यादों में हमेशा जीवित रहने वाली कहानी भी है.
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