5 क्रांतिकारी किरदार जिन्होंने साबित किया कि पर्दे पर महिलाएं भी ला सकती हैं क्रांति

Bollywood News: महेश भट्ट की अर्थ ने भारतीय सिनेमा को आत्मसम्मान की खोज करती एक महिला की सबसे गहरी झलक दी. शबाना आजमी की 'पूजा' धोखे के बाद टूटती नहीं, बल्कि आजादी चुनती है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
bollywood news

Bollywood News: भारतीय सिनेमा ने अपने सबसे प्रभावशाली क्षण तब देखे हैं, जब महिला किरदारों ने चुप रहने से इनकार कर दिया. कभी जहरीले रिश्तों को तोड़कर, तो कभी पूरी व्यवस्था से टकराकर.  इन किरदारों ने न सिर्फ कहानियों को नया आकार दिया, बल्कि समाज में भी बहसें शुरू कर दीं. जहां यामी गौतम धर की आने वाली फिल्म हक इस परंपरा को आगे ले जाने को तैयार है, वहीं आइए नजर डालते हैं उन 5 क्रांतिकारी महिला किरदारों पर जिन्होंने साबित किया कि पर्दे पर महिलाएं भी क्रांति का चेहरा बन सकती हैं.

शबाना आजमी (अर्थ)

महेश भट्ट की अर्थ ने भारतीय सिनेमा को आत्मसम्मान की खोज करती एक महिला की सबसे गहरी झलक दी. शबाना आजमी की 'पूजा' धोखे के बाद टूटती नहीं, बल्कि आजादी चुनती है. यह किरदार दर्शकों की नजरों में महिलाओं की छवि को पूरी तरह से बदल देता है.

विद्या बालन (कहानी)

विद्या बागची के रूप में विद्या बालन सिर्फ अपने पति की तलाश में नहीं थीं, बल्कि वह एक ऐसी स्त्री थीं जो संकल्प, बुद्धिमत्ता और आंतरिक शक्ति की मिसाल बन गईं. कहानी ने एक महिला लीड के दम पर थ्रिलर जैसी शैली को नए मायने दिए

तापसी पन्नू (थप्पड़)

एक थप्पड़… और इस फिल्म ने पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि घरेलू हिंसा को हम कब तक नजरअंदाज करते रहेंगे. तापसी की 'अमृता' एक शांत पर क्रांतिकारी चेहरा बनीं, जिन्होंने दिखाया कि कभी-कभी एक छोटी-सी आवाज भी बड़े बदलाव की शुरुआत होती है.

Advertisement

आलिया भट्ट (राजी)

'सेहमत' के रूप में आलिया भट्ट ने कोमलता और देशभक्ति को एक साथ पिरोया. उनका किरदार दिखाता है कि ताकत हमेशा ऊंची आवाज में नहीं होती. कभी-कभी वो चुपचाप कुर्बानियों और रणनीतियों में भी होती है. इस किरदार ने यह साफ किया कि महिलाएं इतिहास की गवाह ही नहीं, निर्माता भी रही हैं.

यामी गौतम धर (हक)

जंगल पिक्चर्स द्वारा निर्मित हक सच्ची घटनाओं से प्रेरित है. यामी इस फिल्म में 'शाजिया बानो' का किरदार निभा रही हैं. एक ऐसी महिला जो अपने टूटे हुए घर से न्याय की लड़ाई अदालत तक ले जाती है और देशभर में बहस छेड़ देती है. अपने पति के खिलाफ खड़े होकर, वह धर्म, कानून और बराबरी के बीच संतुलन को चुनौती देती है. सिर्फ टीजर से ही हक ने दिखा दिया है कि यह कहानी अपने तेवर में कोई समझौता नहीं करेगी. यह किरदार यामी गौतम धर के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है और हक को हमारे समय की सबसे ताकतवर कहानियों में शामिल कर सकता है.

ये भी पढ़ें: केएल राहुल ने 'कांतारा: चैप्टर 1' की सराहना की, जानें क्या कहा