Balodabazar Break Out: छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार की हिंसा और आगजनी को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. बताया जा रहा है कि बलौदा बाजार में हिंसक प्रदर्शन के पीछे की वजह जनसमुदाय में बड़ा आक्रोश था, जिसका फायदा असामाजिक तत्वों ने उठाया. इसे भांपने में कहीं न कहीं पुलिस प्रशासन से भी चूक हुई.
इसने भी दिया आक्रोश को हवा
सूत्रों के मुताबिक, समय रहते प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए जिला प्रशासन का कोई बड़ा जिम्मेदार मौके पर नहीं पहुंचा, इससे भी प्रदर्शनकारियों में आक्रोश था. जिसे हिंसक बनाने में उपद्रवी कामयाब रहे.
आक्रोशित भीड़ ने जिला मुख्यालय में खड़े वाहनों को आग के हवाले किया
जिला मुख्यालय में कोई सक्षम अधिकारी की गैर मौजूदगी में आक्रोशित भीड़ ने सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के वाहनों के साथ ही जिला मुख्यालय आए आम नागरिकों के वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया. मामले में पुलिस अब तक 132 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं जिला कलेक्टर द्वारा धारा 144 लागू कर उपद्रवियों के प्रदर्शन पर रोक लगाई गई.
उपद्रवियों को रोकने के लिए नहीं था पर्याप्त बल
चर्चा है कि जब उपद्रवी प्रदर्शन कर रहे थे तब उन्हें रोकने के लिए पर्याप्त संख्या में बल नहीं था. कहा ये भी जा रहा है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा समय रहते पड़ोसी जिलों से अतिरिक्त बल मंगाने का प्रयास भी नहीं किया गया. जिससे उपद्रवियों को अपने मनसूबे में कामयाबी मिलने में सहायता हुई.
हिंसा के उग्र होने की ये भी एक वजह
पुलिस महकमे के ही कुछ लोग दबी जुबान चर्चा कर रहे हैं कि प्रदर्शन उग्र होने का इनपुट पहले से था, लेकिन इसके लिए आने वाली भीड़ का अंदाजा नहीं लगा सके, जिससे समय रहते पर्याप्त बल की व्यवस्था नहीं हो सकी.
पुलिस द्वारा असली मुजरिम की जगह निर्दोष को गिरफ्तार किया गया
पिछले कुछ घटनाक्रमों में पुलिस पर आरोप लगे हैं कि असली आरोपी की जगह पुलिस मामले को शांत करने के लिए किसी को भी पकड़ लेती है. चर्चा यह भी चलती है कि जिले में आरोपी बदलने का ट्रेंड है. महकोनी के जैतखाम मामले में पुलिस पर ये आरोप लगे हैं.
क्या है पूरा मामला?
बलौदा बाजार के महकोनी में जैतखाम को कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़ दिया गया था, इसके बाद समाज के लोग आक्रोशित हो गए थे. इस मामले के बाद समाज के लोगों की शासन और प्रशासन के साथ लगातार कई बैठकें हुईं. जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया. हालांकि, आरोपियों को पकड़ने को लेकर सरकार और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई समाज के लोगों को नाकाफी लगी और वे उससे संतुष्ट नहीं थे. जिसके बाद 10 जून को बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में महाआंदोलन बुलाया गया. इस आंदोलन में कुछ उपद्रवी भी शामिल हो गए थे, जिन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए एक बड़ी हिंसा की घटना को अंजाम दे दिया.
दशहरा मैदान से निकलकर भीड़ देखते ही देखते गार्डन चौक तक पहुंच गई
दशहरा मैदान से उग्र भाषणबाजी हो रही थी, परिणाम यह हुआ कि दशहरा मैदान से निकल कर उपद्रवी गार्डन चौक तक पहुंच गए और बैरिकेट्स को तोड़ते हुए भीड़ तहसील कार्यालय की ओर मुड़ गई.
वहीं चक्रपाणि स्कूल चौराहे पर मजबूत बैरिकेट्स के साथ दमकल की गाड़ियां लगाई गई थी ताकि भीड़ के वहां पर आने पर उसे तितर-बितर किया जा सके. साथ ही, वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात की गई थी, लेकिन इसी जगह पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी स्कूल मार्ग से पहुंच गए.
उपद्रवियों ने पहले बैरिकेट्स को तोड़े, फिर फायर ब्रिगेड की गाड़ी में की तोड़-फोड़
उग्र भीड़ ने पहले बैरिकेट्स तोड़े और फिर फायर ब्रेगड की गाड़ी में तोड़-फोड करते हुए उन्हें आग के हवाले कर दिया. इस आगजनी के बाद एक और फायर ब्रिगेड की गाड़ी भीड़ को भी उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया. अनियंत्रित भीड़ के पास न सिर्फ पत्थर थे, बल्कि बड़ी संख्या में पेट्रोल रखे हुए थे.
पुलिस अधिकारियों पर पेट्रोल बम फेंकने वाले थे उपद्रवी
बताया जाता है कि अगर पुलिस उपद्रवियों को नहीं जाने देती तो वे पुलिस अधिकारियों पर भी पेट्रोल बम से हमला कर सकते थे. जिस तरह से उपद्रवी पथराव कर रहे थे, उन्हें देखकर यही लग रहा था कि वह पहले से तैयारी करके बलौदा बाजार पहुंचे हैं और आक्रोशित भीड़ संयुक्त जिला कार्यालय परिसर में पहुंचकर गाड़ियों में आग लगाने लगी.
पुलिस और प्रशासन की ओर देर से मिली लाठी चार्ज की अनुमति
इस पूरे मामले में ये भी बात सामने आई है कि पुलिस को लाठी चार्ज करने की अनुमति बहुत देर से मिली. दोपहर 1:30 बजे से 3:30 बजे तक उपद्रवी भीड़ शहर के विभिन्न हिस्सों के साथ ही संयुक्त जिला कार्यालय में तोड़-फोड़ और आगजनी को अंजाम देती रही, लेकिन पुलिस बल को लाठी चार्ज की अनुमति नहीं मिल पाई थी.