9 साल के मासूम के अपहरण और हत्या के आरोपियों को उम्रकैद की सजा, कंकाल से हुई थी बच्चे की पहचान

CG News: कबीरधाम में नौ साल के मासूम का अपहरण और हत्या करने वाले तीन आरोपियों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. यहा मामला चार साल पुराना है.

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अदालत ने तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

District Court Kawardha Verdict: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कबीरधाम (Kabirdham) में 9 साल के मासूम के अपहरण और हत्या के मामले (Kidnapping and Murder Case) में अदालत ने चार साल बाद फैसला सुनाया है. अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. यह फैसला बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्यभामा अजय दुबे की अदालत (District and Session Court) ने सुनाया.

यह पूरा मामला जिले के सहसपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बिडोरा का है, जहां 26 दिसंबर 2019 को हिमांशु उर्फ डोनिश राणा (9) अपने घर के सामने बैडमिंटन खेलने निकला था. इस दौरान गांव के ही तीन लोगों ने उसका अपहरण कर लिया और उसकी गला दबाकर हत्या कर दी. यह वारदात को गांव से दूर टाटावाही गांव के घुरवा में अंजाम दिया गया. इधर देर शाम तक डोनिश के घर नहीं लौटने पर परिजनों ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई.

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35 दिन बाद मिला था कंकाल

इसके बाद पुलिस ने अपनी जांच शुरू की. इस बीच वारदात के 35 दिन बाद टाटावाही में नर कंकाल मिला, जिसका डीएनए कराया गया. डीएनए के रिपोर्ट के आधार पर कंकाल की डोनिश राणा के रूप में पहचान की गई. इसके बाद पुलिस ने हत्या और एट्रोसिटी सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की. जांच के दौरान पुलिस ने 35 दिनों तक सैकड़ों संदिग्धों से पूछताछ की  और कई जगहों के सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले.

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फिरौती के लिए की हत्या

मामले में 35 दिन बाद जब पुलिस आरोपियों तक पहुंची तो आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल किया. पूछताछ के दौरान आरोपी यशवंत पाली, कोमल और हेमंत पाली ने हत्या का जुर्म कबूल करते हुए बताया वे लोग डोनिश राणा के पिता से 30 लाख रुपये फिरौती लेना चाहते थे. ये तीनों आरोपी डोनिश को बहला फुसलाकर स्कूल के पास से उठाकर ले गए थे. इसके बाद गांव के बाहर जाकर आरोपियों ने डोनिश का गला घोंटकर हत्या कर दी और बोरे में भरकर उसके शव को दूसरे गांव के जंगल के रास्ते से होकर टाटावाही गांव के एक घुरवा में दबा दिया.

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इस पूरे मामले में पुलिस ने आरोपियों को सजा दिलाने के लिए कई साक्ष्य इकट्ठा किए और न्यायालय में पेश किए. यह मामला चार साल तक न्यायालय में चला. इसके बाद बुधवार को इस पूरे मामले में तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

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