समर्पण के बाद नक्सली कमांडर सुनील ने साथियों को दिया एक हफ्ते की अल्टीमेटम, गद्दार कहे जाने पर खोल दिया बड़ा राज

Naxal Surrender News: 20 सालों से नक्सल मोर्चे पर सक्रिय रहे सुनील ने सरेंडर के बाद मीडिया के सामने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. उसने न सिर्फ अपने बाकी साथियों को अल्टीमेटम दिया है, बल्कि गद्दार कहे जाने के डर पर भी खुलकर बात की है. सुनील ने साथियों को एक हफ्ते का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि मेरी जिम्मेदारी पर सरेंडर करो, वरना...

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद (Gariaband) में नक्सलवाद (Naxalism)को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब उदंती एरिया कमेटी के खूंखार कमांडर हरियाणा (Haryana) के रहने वाले सुनील उर्फ जगतार ने अपनी पत्नी अरेना उर्फ सगरो समेत कुल 7 नक्सलियों के साथ सरेंडर कर दिया. इन सभी ने 6 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया, लेकिन सरेंडर के बाद नक्सली कमांडर सुनील से जुड़ी जो बातें सामने आईं, उसने नक्सल खेमे में खलबली मचा दी है.

20 सालों से नक्सल मोर्चे पर सक्रिय रहे सुनील ने सरेंडर के बाद मीडिया के सामने कई चौंकाने वाले खुलासे किए. उसने न सिर्फ अपने बाकी साथियों को अल्टीमेटम दिया है, बल्कि गद्दार कहे जाने के डर पर भी खुलकर बात की है. सुनील ने साथियों को एक हफ्ते का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि मेरी जिम्मेदारी पर सरेंडर करो, वरना...

'सरेंडर करो, तो जिम्मेदारी मेरी'

बातचीत के दौरान सुनील ने सीता नदी एरिया के अपने बचे हुए साथियों को सरेंडर करने के लिए सिर्फ एक हफ्ते की मोहलत दी है. सुनील ने साफ कहा कि इस एरिया में अब कोई बड़ा लीडर नहीं बचा है. उसने कहा कि अगर बचे हुए नक्सली एक हफ्ते में सरेंडर नहीं करते हैं, तो इसके जिम्मेदार वे खुद होंगे. सुनील के इस बयान से साफ है कि सुनील को डर है कि बिना लीडरशिप के बचे हुए कैडर या तो मारे जाएंगे या भटक जाएंगे. ऐसे में एक हफ्ते के बाद वह भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाएगा. सुनील ने गरियाबंद के गोबरा, सीना पाली और एसबीके सीतानदी क्षेत्र के सभी बचे हुए नक्सलियों से सरेंडर की अपील की. इसके साथ ही सभी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हुए उसने कहा कि एक हफ्ते के अंदर अगर वे सरेंडर करते हैं, तो मैं उनकी जिम्मेदारी लेता हू. मैं अपनी रिस्क पर उनको सरेंडर करवाऊंगा और उन्हें कुछ नहीं होने दूंगा.

गद्दार कहे जाने पर भड़का कमांडर

बस्तर और तेलंगाना से जारी अपीलों में सरेंडर करने वाले नक्सलियों को गद्दार कहा जा रहा है. जब सुनील से इस बारे में पूछा गया, तो उसने नक्सल आंदोलन का सबसे बड़ा और कड़वा सच बयां कर दिया. सुनील ने कहा कि हथियार डालकर सरेंडर करने से कोई नक्सली गद्दार नहीं होता. उसने बगावती सुर में कहा कि वे वाकई में शांति वार्ता चाहते हैं और दोनों ओर से सीजफायर होना चाहिए. उसने कबूल किया कि 20 साल लड़ने के बाद भी आज हालात उनके खिलाफ हैं. सुनील ने नक्सल आंदोलन की कमर टूटने का सबसे बड़ा राज खोलते हुए कहा वर्तमान में हालात हमारे खिलाफ हैं. न ही हमारे पास संभवत कैडर/फोर्स है, न ही शस्त्र (हथियार) हैं और न ही कोई सपोर्ट है. इसके चलते अब शस्त्रों के साथ लड़ना मुश्किल है.

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'हथियार डाले हैं, आवाज नहीं'

सुनील ने बताया कि हरियाणा में कमजोर तबकों के शोषण को देखकर उसने बंदूक उठाई थी. उसने स्पष्ट किया कि सिर्फ हथियार डाले हैं, लेकिन वह जनता की आवाज उठाना नहीं छोड़ेगा. उसने कहा कि हम जनता के बीच जाकर उनकी बातों को अपने माध्यम से उठाएंगे और जनता के हक के लिए लड़ाई करेंगे. इतना ही नहीं, सुनील ने साफ संकेत दिए कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह राजनीति में भी आने से पीछे नहीं हटेगा.

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फिलहाल, सुनील ने सरकार से मांग की है कि वह सरेंडर पॉलिसी पर ठीक से अमल करे. उसने कहा, हम देखेंगे कि सरकार ने जो बात कहकर हमसे सरेंडर करवाया है, उस बात पर कितनी कायम है.

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