नक्सलगढ़ सुकमा में हुआ कमाल ! 58 बच्चे बैठे थे NEET परीक्षा में 43 बच्चे हुए पास, डॉक्टर बनने का सपना होगा पूरा

Sukma NEET Exam 2025: सुकमा के सपनों को अब पंख मिल रहे हैं. यहां जिला प्रशासन की पहल पर शुरू की गई मुफ्त आवासीय कोचिंग योजना ने यहां के आदिवासी बच्चों को एक नई दिशा दी है.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins

Chhattisgarh News: जैसे-जैसे छत्तीसगढ़ में नक्सलगढ़ सिमटता जा रहा है वैसे-वैसे यहां की प्रतिभाएं उड़ान भरने लगी हैं....ताजा उदाहरण सुकमा जिले का है. इस घोर नक्सल प्रभावित जिले से 43 बच्चों ने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक NEET परीक्षा में सफलता हासिल की है. आप ये जानकर थोड़ा और चौंक जाएंगे कि कुल 58 बच्चे इस परीक्षा में बैठे थे....यानी पास होने का प्रतिशत 90% के आसपास है जो अपने-अपने आप में एक कीर्तिमान है. अहम ये है कि इस बच्चों में एक बच्चा पूर्व नक्सली परिवार का है. आप पूछेंगे ये सब मुमकिन कैसे हुआ है....तो इसका जवाब है जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे मुफ्त कोचिंग क्लासेज...

नीट एग्जाम में 259 अंक प्राप्त किया है. पिछली बार 235 अंक मिले थे, काउंसलिंग में मेरा चयन नहीं हुआ. इस साल दुबारा प्रयास करने पर अच्छे अंक मिले हैं. जिला प्रशासन की मदद से ये सब संभव हो पाया है. बड़े  शहरों की तर्ज पर सुकमा में सुविधा मुहैया कराया जा रहा है.

रीना द्वारि

छात्र

मुफ्त आवासीय कोचिंग योजना ने दी सुकमा को नई पहचान

दरअसल, सुकमा जिला प्रशासन की पहल से शुरू की गई मुफ्त आवासीय कोचिंग योजना ने यहां के आदिवासी बच्चों को एक नई दिशा दी है. प्रशासन ने संसाधनों की कमी से जूझ रहे बच्चों को इसके जरिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सक्षम बनाया. इसका नतीजा यह रहा कि वर्ष 2025 की NEET परीक्षा में सुकमा के 43 छात्रों ने सफलता हासिल की, जो अब डॉक्टर बनने के अपने सपने को साकार करने की ओर बढ़ रहे हैं. यह सफलता केवल परीक्षा पास करने की नहीं है, बल्कि यह उस बदलाव की शुरुआत है जो सुकमा को शिक्षा और विकास के नक्शे पर एक नई पहचान दे रहा है.

Advertisement

58 विद्यार्थियों में से 43 छात्र हुए पास

यह बदलाव इस बात का प्रमाण है कि यदि सरकारी योजनाएं ईमानदारी और जमीनी स्तर पर लागू की जाएं, तो कोई भी क्षेत्र पिछड़ा नहीं रह सकता. बता दें कि शासन की ओर से संचालित क्षितिज कोचिंग सेंटर के 58 विद्यार्थियों में से 43 छात्रों ने नीट की परीक्षा पास की है. 

Advertisement

सुकमा जैसी चुनौतीपूर्ण भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियों में पढ़ाई करना आसान नहीं होता. यहां कई गांवों में स्कूलों तक पहुंचना भी अपने-आप में एक जद्दोजहद है, लेकिन इसके बावजूद इन बच्चों ने हिम्मत नहीं हारी और तमाम बाधाओं को पार करते हुए मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की. इन बच्चों की सफलता से गांवों में शिक्षा के प्रति नया विश्वास जगा है कि अब डॉक्टर बनने का सपना किसी शहर या सम्पन्न परिवार तक सीमित नहीं रहा.

Advertisement

आत्मसमर्पित नक्सली की बेटी बनेगी डॉक्टर

नीट परीक्षा पास करने वाली संध्या कुंजाम आत्मसमर्पित नक्सली की बेटी है. संध्या के पिता रमेश कुंजाम ने 2002 में नक्सलवाद को छोड़कर आत्मसमर्पण किया था.आत्मसमर्पण के बाद से जगरगुंडा छोड़कर एर्राबोर में रहने लगे हैं. सरेंडर के बाद सरकार ने गोपनीय सैनिक के बाद प्रधान आरक्षक बनाया है.

रमेश कुंजाम सरकार और प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए बताते हैं कि प्रशासन और शासन की मदद से बच्चों के भविष्य को संवारने में सहयोग मिल रहा है.

कोचिंग के लिए सुकमा से बाहर गया था, लेकिन अच्छे अंक नहीं मिले

सुकमा जिले के कूकानार थाना क्षेत्र के विजय कुमार ने बताया कि कोचिंग के लिए सुकमा से बाहर गया था, वहां अच्छे अंक नहीं मिले. इसके बाद सुकमा में संचालित कोचिंग सेंटर में ज्वाइन किया और इस बार हुए एग्जाम में अच्छे अंक मिले हैं. जिला प्रशासन और कोचिंग सेंटर के स्टाफ की बदौलत अच्छे मार्गदर्शन के साथ करियर बनाने में सहयोग किया जा रहा है.

छिंदगढ़ ब्लॉक के कांजीपानी निवासी सावन नेगी ने बताया कि डॉक्टर बनने के बाद सुकमा जिले में रहकर आदिवासियों की सेवा करना चाहते हैं. उनका कहना है कि सुकमा अत्यंत पिछड़े जिले में आता है और यहां स्वास्थ्य सुविधाएं अच्छी नहीं है. अंदरूनी इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं समय पर नहीं मिलता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है. 

बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं- संतोषी सोनी

क्षितिज कोचिंग सेंटर की प्रभारी प्राचार्य एम संतोषी सोनी ने बताया कि बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है. उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है.जिला प्रशासन के सहयोग से बच्चों को कोचिंग दी जा रही है. आने वाले समय में सुकमा पूरे प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा.

सुकमा कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने बताया कि नीट 2025 में सुकमा जिले के 43 बच्चों ने पास किया है. 4 से 5 बच्चों का सिलेक्शन MBBS में होने की संभावना है. ये सुकमा के लिए गर्व की बात है. अगले सत्र और बेहतर करने का प्रयास करेंगे. अधिकांश बच्चे नक्सल प्रभावित इलाकों से है. सरकार की मंशा अनुरूप हर स्तर पर बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया जा रहा है.

ये भी पढ़े: केंद्रीय मंत्री का अनोखा अंदाज, रेलवे स्टेशन पर ट्रॉली बैग खींचते दिखे वीरेंद्र खटीक, कहा- किस बात की शर्म

Topics mentioned in this article