CBSE Board Students in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य सरगुजा (Surguja) जिले के सरकारी स्कूलों (Government Schools) में अंग्रेजी माध्यम (English Medium) से सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) के तहत पढ़ाई करने वाले छात्रों को अब तक किताब नहीं मिली है. इससे उनके पढ़ाई में काफी दिक्कतें आ रही हैं... जल्द ही फर्स्ट टर्मिनल एक्जाम (1st Term Exams) का समय आने से उनकी परेशानी काफी बढ़ गई हैं. हालांकि, स्कूल प्रबंधन वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पढ़ाई कराने का दावा कर रही है. लेकिन, अधिकांश छात्र सरकार की ओर से मिलने वाले किताबों का इंतजार कर रहे हैं.
कांग्रेस ने शुरू किए थे सरकारी सीबीएसई स्कूल
प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा पूरे प्रदेश में सीजी बोर्ड के साथ-साथ निजी स्कूलों की तर्ज पर सीबीएसई बोर्ड के तहत पढ़ाई शुरू कराया गया था. इसके लिए हर ब्लॉक में एक स्कूल का चयन भी किया गया. सीबीएसई बोर्ड में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं को राज्य सरकार के द्वारा नि:शुल्क किताब हर साल दिया जाता है. जिससे छात्राओं को काफी सहूलियत होती है. लेकिन, शिक्षा सत्र 2024-25 शुरू होने के एक माह बाद भी अभी तक सीबीएसई बोर्ड के छात्रों के पास किताब नहीं हैं. ऐसे में छात्र-छात्राओं को न सिर्फ पढ़ाई करने में दिक्कत हो रही है, बल्कि उनको मिलने वाले होम वर्क को वे पूर्ण करने में असफल रह रहे हैं.
इस वजह से नहीं मिल रही किताब
सीबीएसई के बच्चों को किताब नहीं मिलने का कारण मुख्य कारण है उपलब्धता नहीं होना. हालांकि, इस संबंध में स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि किसी तरह वैकल्पिक व्यवस्था के तहत स्कूल में पढ़ाई कराई जा रही है. लेकिन, अच्छे छात्रों के पास किताब नहीं होने के कारण पढ़ाने में भी शिक्षकों को काफी दिक्कत हो रही है. अंबिकापुर के हाई स्कूल के प्राचार्य के.के. राय ने बताया कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के कार्यालय द्वारा से स्कूलों में सीबीएसई बोर्ड की किताब में उपलब्ध कराई जाती हैं.
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दो हजार बच्चों को हो रही परेशानी
एक आंकड़े के मुताबिक, सरगुजा जिले के हर ब्लॉक मुख्यालय में एक से दो स्कूलों का चयन सीबीएसई बोर्ड के तहत पढ़ाई करने के लिए चुना गया है. जिले में तकरीबन सीबीएसई बोर्ड के 15 स्कूल संचालित हो रही है. इन स्कूलों में करीब दो हजार छात्र छात्राएं है. वहीं अब सीबीएसई बोर्ड के छात्रों का फर्स्ट टर्मिनल एक्जाम होने वाला है. ऐसे में छात्र-छात्राओं के पास किताब नहीं होने से वे काफी परेशान हैं.
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