सिलाई मशीन से SUV गाड़ी का सफर, जानें सामान्य गृहिणी से सफल उद्यमी कैसे बनीं रायपुर कविता

Success Story Kavita: छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले का रहने वाली एक महिला ने एक बड़ी मिसाल पेश की है. सिलाई मशीन से SUV गाड़ी का सफर तय किया है. आइए जानते हैं इनकी सफलता का राज क्या है?

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Success Story: सिर्फ कुछ साल पहले अपनी कमाई के 13,000 रुपये से सिलाई मशीन खरीदने वाली छत्तीसगढ़ की कविता वर्मा ने आज अपनी मेहनत के दम पर खुद की कार खरीद ली है. कपड़े और जूते के व्यवसाय से कविता सालाना लगभग 8 लाख रुपये तक की आय अर्जित कर रही है. सिलाई मशीन से एसयूवी कार तक के इस सफर में उन्होंने न सिर्फ अपने व्यवसाय को खड़ा किया, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता की मिसाल भी कायम की है.

ऐसी है इनकी कहानी

रायपुर जिले के तिल्दा के किरना गांव की रहने वाली कविता वर्मा का बचपन सिलाई-कढ़ाई और घरेलू कामों में बीता. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यही हुनर आगे चलकर उनकी पहचान बनेगा. शादी के बाद जब वह तिल्दा आई, तो उन्हें एक सख्त और पारंपरिक माहौल का सामना करना पड़ा. संयुक्त परिवार की बहू होने के कारण उनसे उम्मीद थी कि वे सिर्फ घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित रहें. घर की महिलाओं का बाहर जाकर काम करना यहां की परंपराओं के खिलाफ माना जाता था.

लेकिन जब आर्थिक तंगी ने घर के हालात मुश्किल बना दिए, तो कविता ने अपने हुनर को अपना हथियार बनाने का फैसला किया. कविता ने वंदना एसएचजी स्व सहायता समूह का हिस्सा बनकर शासकीय योजनाओं और शासन से मिलने वाले ऋणों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया.

बिहान में कार्य करते हुए अपने शुरुआती वेतन को बचाकर उन्होंने 13000 की सिलाई मशीन खरीदी थी जो अब भी उनकी बड़ी सी कपड़े की दुकान में संभाल कर रखी हुई है. सिलाई मशीन से कविता ने अपने घर में ही छोटे स्तर पर काम शुरू किया.घर के कामों के साथ दुकान संभालना आसान नहीं था. कई बार पूरे दिन मेहनत के बावजूद सिर्फ 500 रुपये की कमाई होती. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

बढ़ाने लगीं कारोबार 

उनका लक्ष्य सिर्फ काम चलाना नहीं, बल्कि अपने बिज़नेस को बड़ा बनाना था. उन्होंने रणनीति बना-ज्यादा बेचो, चाहे मुनाफा थोड़ा कम हो. पहले वह सिर्फ तिल्दा से सामान लाती थीं, लेकिन धीरे-धीरे रायपुर, सूरत और दिल्ली से भी कपड़े मंगवाने लगीं. त्योहारों और शादी के सीजन में वह खुद खाना-पीना छोड़कर 15-15 घंटे तक काम करतीं, ताकि ज्यादा ऑर्डर पूरे कर सकें. 

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उनकी मेहनत रंग लाई और ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगी. कविता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कार्यक्रमों में भी अपने स्टॉल लगाए हैं, जिससे उन्हें और पहचान मिली.

आज वर्मा सिर्फ खुद काम करने के बजाय दूसरों को भी रोजगार दे रही हैं. उन्होंने तीन लड़कियों को अपनी दुकान में सेल्सगर्ल की नौकरी दी है. उनकी सफलता से प्रेरित होकर आज उन्हीं के परिवार की 15 अन्य महिलाओं ने भी अपने व्यवसाय शुरू किया है. 

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पति बुलाते हैं 'घर की लक्ष्मी'

अब उनकी दुकान इतनी प्रसिद्ध हो चुकी है कि 10 किलोमीटर दूर से भी ग्राहक आने लगे हैं. वह जल्द ही अपने बिज़नेस को और बड़ा करने के लिए होलसेल मार्केट में विस्तार करने की योजना बना रही हैं.अपनी पत्नी की सफलता पर गौरवान्वित दिनेश वर्मा उन्हें अपने 'घर की लक्ष्मी' बुलाते हैं.कविता आज पूरे समाज के लिए एक मिसाल बनकर खड़ी हुई है। उनकी कहानी सिर्फ गांव के लिए ही नहीं पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी है.

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