अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होंगी छत्तीसगढ़ की ये जातियां ? CM साय ने की ये पहल 

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान ने पाव, पबिया, पविया, पवीया जाति का नृजातीय अध्ययन करने के बाद प्रतिवेदन तैयार किया है. सीएम विष्णु देव साय ने एक प्रस्ताव भारत सरकार के पास भेजा है. 

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Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कई सालों से अनुसूचित जनजाति की सूची की में शामिल होने की बांट जोह रही जातियों के लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. इन्हें अनुसूचित जनजातियों की सूची में पाव जाति के साथ शामिल करने के लिए सीएम विष्णु देव ने  इन जातियों का नृजातीय अध्ययन प्रतिवेदन अनुशंसा सहित भारत सरकार के जनजाति कार्य मंत्रालय को आगे की कार्यवाही के लिए भेजा है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो सालों की प्रतीक्षा खत्म और समस्या हो जाएगी.

कई सालों से मांग कर रहे थे लोग 

छत्तीसगढ़ की  पाव, पबिया, पविया, पवीया जाति के लोग कई सालों से मांग कर रहे थे कि उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाए. लेकिन ऐसा अब तक नहीं  हो सका. इससे उनकी पीढ़ियों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है. प्रदेश में विष्णु साय सरकार (Vishnu Dev Sai Government) बनने के बाद इन जातियों के लोगों में फिर से एक आस जगी. सीएम ने इनकी मांग को गंभीरता से लिया और एक प्रस्ताव भारत सरकार के पास भेज दिया. इसकी जैसी ही खबर जातियों के लोगों को मिली तो वे सीएम का धन्यवाद करने के लिए रायपुर पहुंच गए. 

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प्रदेश भर से आए पाव, पबिया, पविया, पवीया जाति के प्रतिनिधि मंडल ने विधायक रामकुमार यादव के नेतृत्व में आज विधानसभा के समिति कक्ष में मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय से मुलाकात कर उनकी इस संवेदनशील पहल के लिए आभार जताया. 

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मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल से कहा कि आप लोगों की लंबे समय से अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने की मांग थी. राज्य शासन द्वारा अनुशंसा सहित प्रतिवेदन भारत सरकार को भेजा गया है. उम्मीद है इसका सकारात्मक परिणाम आएगा. उन्होंने बारिश के मौसम में प्रदेश भर से रायपुर आने के लिए प्रतिनिधि मंडल को धन्यवाद दिया.

प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि मध्य प्रदेश के समय उन लोगों के अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र बन रहे थे, लेकिन मात्रात्मक त्रुटि के कारण पिछले 22 सालों से प्रमाण पत्र बनना बंद हो गया है, इसकी वजह से हमारे बच्चों को अनुसूचित जनजाति वर्ग को मिलने वाले लाभ नहीं मिल पा रहे हैं. हमारे बच्चे पढ़ाई-लिखाई में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। 

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पूरे प्रदेश में इन जातियों की जनसंख्या लगभग 22 हजार है. यूं तो ये लोग पूरे प्रदेश में पाए जाते हैं लेकिन प्रमुख रूप से चंद्रपुर, रायगढ़, लैलूंगा, खरसिया, पेंड्रा, मरवाही और जशपुर में रहते हैं.


छत्तीसगढ़ के आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा पाव, पबिया, पविया, पवीया जाति का नृजातीय अध्ययन करने के बाद प्रतिवेदन तैयार किया है, जिसमें इन जातियों को लक्षणों के आधार पर अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की अनुशंसा की गई है। विधायक रामकुमार यादव ने कहा कि इस जाति के लोग वास्तव में आदिवासी हैं, लेकिन उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा है। इनके हित में मुख्यमंत्री जी ने अच्छी पहल की है. उन्होंने समाज के सामाजिक भवन के लिए रायपुर में जमीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया.

मुख्यमंत्री ने महसूस किया है जनजातियों का दर्द

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय खुद भी अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं. उन्होंने बिरहोर, पहाड़ी कोरवा सहित अनुसूचित जनजातियों के लिए अपने सार्वजनिक जीवन के प्रारंभ से काम किया है, इसलिए वे जनजातियों का दर्द अच्छी तरह से समझ सकते हैं. 

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